मनरेगा के नाम पर राजनीति कर रही है कांग्रेस, हिमाचल सरकार’ – जयराम ठाकुर

सुक्खू सरकार ने 5 महीने से अपने हिस्से की दिहाड़ी का भुगतान भी नहीं किया है

 

भगवान राम के नाम से चिढ़ की वजह विबी- जी राम जी का विरोध कर रही है कांग्रेस

विबी- जी राम जी महात्मा गांधी के ग्रामोदय के सपने को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगी

आईजीएमसी में मरीज के साथ हुई मारपीट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण, संज्ञान ले सरकार

Khabron wala

शिमला : शिमला से जारी बयान में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस और सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार मनरेगा के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है। जबकि केंद्र सरकार ने गरीब, ग्रामीण और श्रमिक वर्ग के हित में ‘विकसित भारत जी-राम जी योजना’ जैसी प्रभावी, पारदर्शी और भविष्य उन्मुख योजना दी है। यह योजना केवल मजदूरी तक सीमित नहीं, बल्कि स्थायी आजीविका, कौशल विकास और आत्मनिर्भर गांवों के निर्माण की दिशा में ठोस कदम है, जिसमें समयबद्ध भुगतान, तकनीक आधारित निगरानी और भ्रष्टाचार पर सख्त नियंत्रण सुनिश्चित किया गया है—जो कांग्रेस शासन में कभी संभव नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भगवान राम के नाम से अपनी चिढ़ के कारण ही विबी–जी राम जी योजना का विरोध कर रही है। उनके राधे- राधे के विरोध को भी पूरी दुनिया ने देखा है। उन्हें गरीबों का कल्याण नहीं, बल्कि राम नाम से एलर्जी है। जो रामराज और ग्रामोदय की सोच से डरता हो, वह विकास का विरोध ही करेगा। देश की जनता जान चुकी है—यह विरोध नीति का नहीं, मानसिकता का है।

 

जय राम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार यह प्रदर्शन सियासी नौटंकी अपने आलाकमान को खुश करने का हथकंडा भर है। मनरेगा को लेकर वह कितने गंभीर हैं इसका पता इसी बात से चलता है कि अगस्त के बाद से राज्य सरकार ने मनरेगा में काम कर चुके लोगों को राज्य के हिस्से का दिहाड़ी भुगतान नहीं किया है। लोगों को मजदूरी में सिर्फ केंद्र द्वारा दी गई धनराशि ही पहुंची है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री पर मनरेगा को लेकर आरोप लगाने वाले हिमाचल के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सभी नेता अगर एक बार आंकड़ों पर नजर डालते तो उन्हें मोदी सरकार में मनरेगा को मिल रही प्राथमिकता का पता चलता। जब 2006 में योजना शुरू हुई थी तो इसका कुल बजट मात्र 11300 करोड रुपए था। जिसे 10 साल में कांग्रेस ने 33000 करोड़ तक पहुंचा पाई। मोदी सरकार ने अपने पहले बजट 2015- 16 में ही मनरेगा का बजट 41000 करोड़ किया। कोविड महामारी के समय वर्ष 2020- 21 में मनरेगा का बजट बढ़ाकर 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए किया। इसी तरह जब कांग्रेस की सरकार गई तो देश का कृषि बजट 27 हजार करोड़ रुपए था 2025- 26 में यह बजट बढ़कर एक 1 लाख 39 हजार 607 करोड़ रुपए किया। सिर्फ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के जरिए ही देश के किसानों को मोदी सरकार 3 लाख 90 हजार करोड़ रुपए डीबीटी के जरिए दे चुकी है। महिलाओं युवाओं किसानों और गरीबों के हित के लिए मोदी सरकार अपने पहले दिन से मिशन मोड में काम कर रही है। इसलिए झूठ, भ्रष्टाचार, अराजकता, को संरक्षण देने वाली कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं के मुंह से मोदी सरकार पर आरोप लगाने वाली बात शोभा नहीं देती है। कांग्रेस का मॉडल ही भय दिखाकर, डरा कर, बरगला कर, झूठ बोलकर शासन करने का मॉडल है। लेकिन विबी- जी राम जी के मामले में उनके हथकंडे नहीं चल पाएंगे।

 

जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस और मुख्यमंत्री सुक्खू इस योजना का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें विकास नहीं, केवल राजनीति चाहिए। केंद्र की हर सुधारात्मक पहल का विरोध करना कांग्रेस की आदत बन चुकी है। मनरेगा के नाम पर भ्रम फैलाना प्रदेश की जनता के साथ खुला छल है।भाजपा गरीब, किसान और मजदूरों के साथ मजबूती से खड़ी है और विकसित भारत जी-राम जी योजना हिमाचल को विकास, रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई दिशा देगी। कांग्रेस और ‘सुख की सरकार’ को राजनीति छोड़कर अपनी नाकामियों का जवाब देना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विबी–जी राम जी योजना महात्मा गांधी के रामराज और ग्रामोदय के सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। महात्मा गांधी का सपना था कि गांव आत्मनिर्भर हों, वहां रोजगार, सम्मान और स्वावलंबन हो—और यही लक्ष्य विबी–जी राम जी योजना के माध्यम से पूरा हो रहा है। यह योजना ग्रामीण भारत को केवल सहायता पर निर्भर रखने के बजाय स्थायी आजीविका, कौशल, विकास और आत्मसम्मान से जोड़ती है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सच्चा ग्रामोदय वही है, जहां गांव मजबूत हों और नागरिक आत्मनिर्भर हों, और विबी–जी राम जी योजना उसी गांधीवादी सोच को जमीन पर उतारने का सशक्त माध्यम है।

आईजीएमसी में मरीज के साथ हुई मारपीट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण, संज्ञान ले सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा की आईजीएमसी शिमला में मरीज के साथ हुई मारपीट की घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस तरीके की घटनाएं हमारे व्यावसायिक दक्षता और क्षमता पर भी सवाल उठाती हैं। मुख्यमंत्री को स्वयं इस मामले में संज्ञा लेना चाहिए और मामले की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए। साथ ही आईजीएमसी प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं फिर न हों।

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