Khabron wala
आईजीएमसी में मरीज एवं डाक्टर से मारपीट मामले में घटना स्थल पर मौजूद स्टाफ पर भी आरोप लग रहे है। मरीज के स्वजनों ने मंगलवार को एसपी शिमला से मुलाकात की। इस दौरान स्वजनों ने एसपी शिमला संजीव गांधी को बताया कि घटना स्थल पर डाक्टर के मारपीट करने के अलावा अन्य स्टाफ ने साक्ष्य को मिटाने का प्रयास किया है।
उन्होंने इस मामले में एसपी शिमला को मरीज अर्जुन पंवर की ओर से एक शिकायत पत्र भी सौंपा है। इस शिकातय पत्र में पीडि़त ने लिखा है कि उसका नाम अर्जुन पंवार है वह तहसील कुपवी जिला शिमला रहने वाला है। शिकायत में बताया कि चिकित्सकीय प्रक्रिया (ब्रॉन्कोस्कोपी) के पश्चात डॉक्टरों दवारा मुझे स्पष्ट रूप से ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने के निर्देश दिए गए थे। घटना के समय उसकी हालत अत्यंत नाजुक थी, उसे सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई हो रही थी तथा मैं ऑक्सीजन पर पूर्ण रूप से निर्भर था। ऐसी जीवन-रक्षक स्थिति में, संबंधित डॉक्टर डॉक्टरों दवारा जानबूझकह भी अत्यंत गंभीर एवं चिंताजनक तथ्य है कि यदि उक्तर मेरी श्वसन में सहायक ऑक्सीजन पाइप को क्षतिग्रस्त किया गया तथा मेरी नाक एवं छाती जैसे अत्यंत संवेदनशील और जीवन रक्षक अंर्गा पर बार-बार प्रहार किए गए। इस कृत्य से मेरी हालत और अधिक बिगड़ गई तथा मेरी जान वास्तविक एवं निकट खतरे में पड़ गई। वर्तमान समय में भी मैं अस्पताल में भर्ती हूं, मुझे साँस लेने में निरंतर समस्या बनी हुई है और ऑक्सीजन सपोर्ट जारी है।
स्टाफ की भूमिका पर उठाए सवाल
शिकायत पत्र में कहा गया है कि घटना का वीडियो रिकॉर्ड नहीं किया गया होता, तो संबंधित डॉक्टरों एवं अस्पताल स्टाफ दवारा किए गए इस आपराधिक कृत्य का सत्य कभी सामने नहीं आ पाता और पूरा मामला दबा दिया जाता। वीडियो रिकॉर्डिंग के कारण ही यह स्पष्ट हो पाया कि किस प्रकार मरीज के साथ मारपीट की गई, ऑक्सीजन सप्लाई बाधित की गई और मानव जीवन को जानबूझकर खतरे में डाला गया। घटना के तुरंत पश्चात, जब उपस्थित व्यक्तियों दवारा वीडियो बनाया जा रहा था, तब संबंधित डॉक्टरों एवं अस्पताल स्टाफ दवारा वीडियो को डिलीट कराने तथा मोबाइल फोन छीनने का प्रयास किया गया। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है।











