मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आईजीएमसी के मारपीट प्रकरण के बाद डॉक्टर की रेजिडेंट पद से बर्खास्तगी पर अपनी बात कही है। रिज मैदान पर अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जिन भी परिस्थितियों में आईजीएमसी में यह वारदात हुई, वह नहीं होनी चाहिए थी। अस्पताल जाने वाला मरीज इस तरह की उम्मीद नहीं करता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमारी सरकार आई तो रजिस्ट्रारशिप कर रहे डॉक्टर 48-48 घंटे ड्यूटी देते थे। इनका स्ट्रेस लेवल कम करने के लिए हमारी सरकार ने इस ड्यूटी को 12 घंटे तक अधिकतम लिमिट किया। रजिस्ट्रारशिप के दौरान इनके स्टाइपेंड को भी 65000 से बढक़र एक लाख रुपए किया। अब डॉक्टर ने किन परिस्थितियों में ऐसा किया, यह समझ नहीं पाया। मरीज डॉक्टर को भगवान की तरह देखते हैं। उनसे इलाज की आशा होती है। हमने एक वीडियो देखा है, जिसमें डॉक्टर मरीज पर हमला कर रहा है। डॉक्टरों की तरफ से कहा गया कि एक और वीडियो उनके पास भी है, लेकिन यहां मसला यह नहीं है। यदि मरीज पलमोनरी के बेड पर बैठा भी था, तो भी कोई और तरीका हो सकता था।
मरीज का व्यवहार ठीक नहीं था तो शिकायत की जा सकती थी। इसलिए राज्य सरकार ने इस मामले में जल्दी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आईजीएमसी में डॉक्टरों की सुरक्षा का पहलू भी राज्य सरकार के ध्यान में है। एक मरीज के साथ कितने अटेंडेंट अस्पताल जाएं, इसे भी तय किया जा रहा है। डॉक्टरों की सुरक्षा भी सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन इस मामले में आरोपी डॉक्टर ने जो किया वह गलत था। सीएम से जब यह पूछा गया कि बर्खास्तगी के खिलाफ डॉक्टर हड़ताल पर जाने की बात कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संवाद से ही मसले हल होते हैं। उनकी बात भी सुनी जाएगी।
आईजीएमसी में मरीज से मारपीट के मामले में आरोपी डॉक्टर की सेवा समाप्त करने के सरकारी फैसले का रेजिडेंट डॉक्टरों ने विरोध किया। बुधवार सुबह 10:30 बजे गेट मीटिंग कर डॉक्टरों ने एकतरफा कार्रवाई पर नाराजगी जताई। हालांकि, बैठक में फिलहाल आपातकाल, जनरल वार्ड और ओपीडी सेवाएं जारी रखने का निर्णय लिया गया। आरडीए अध्यक्ष सोहिल शर्मा ने बताया कि वरिष्ठ डॉक्टर एसोसिएशन से बैठक के बाद आगे का फैसला होगा। इस मुद्दे पर रेजिडेंट डॉक्टर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी मुलाकात करेंगे।









