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हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत विजिलेंस विभाग ने बिलासपुर जिले में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। सरकारी काम के बदले खुलेआम रिश्वत मांगने वाले वन विभाग के एक अधिकारी को रंगे हाथों पकड़कर यह साफ संदेश दिया गया है कि सिस्टम में बैठे किसी भी भ्रष्ट अफसर को अब बख्शा नहीं जाएगा।
ठेकेदार की शिकायत से खुला मामला
यह कार्रवाई एक स्थानीय ठेकेदार की शिकायत के बाद सामने आई। चलेली क्षेत्र के ठेकेदार सुरेश कुमार ने विजिलेंस विभाग को बताया कि वन विभाग का बीट इंचार्ज समीर मुहम्मद उससे खैर के पेड़ों की मार्किंग के बदले अवैध रूप से पैसे मांग रहा है। ठेकेदार का आरोप था कि अधिकारी बिना रिश्वत के सरकारी प्रक्रिया आगे बढ़ाने से साफ इनकार कर रहा था।
शिकायत के अनुसार, बीट इंचार्ज ने खैर के पेड़ों की मार्किंग करने के लिए पहले तीन लाख रुपये की मांग रखी थी। लगातार दबाव बनाने के बाद बातचीत आगे बढ़ी और बाद में सौदे की रकम घटाकर एक लाख रुपये तय की गई। इसमें से 50 हजार रुपये पहली किस्त के रूप में लेने पर सहमति बनी।
विजिलेंस ने रची पूरी योजना
शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस टीम ने पूरे मामले की गोपनीय जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर टीम ने जाल बिछाया और आरोपी अधिकारी की गतिविधियों पर नजर रखी गई। बातचीत और लेनदेन की पूरी रणनीति पहले से तय की गई थी।
आरोपी अधिकारी ने रिश्वत की रकम नकद लेने के बजाय गूगल पे के माध्यम से लेने को कहा। जैसे ही ठेकेदार ने 50 हजार रुपये ट्रांसफर किए, विजिलेंस टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। टीम ने डिजिटल ट्रांजैक्शन से जुड़े सबूत भी कब्जे में ले लिए हैं।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस
विजिलेंस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। अब कॉल डिटेल्स, बैंक और डिजिटल पेमेंट से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि इस पूरे मामले में किसी अन्य अधिकारी की संलिप्तता तो नहीं है।
विजिलेंस विभाग का कहना है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान आगे भी इसी तरह सख्ती से जारी रहेगा। सरकारी काम के बदले रिश्वत मांगने वालों के खिलाफ बिना किसी दबाव के कार्रवाई की जाएगी।












