Khabron wala
प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती, उसे बस अवसर और संकल्प की जरूरत होती है। इस कहावत को सच कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव के बेटे रजत वर्मा ने, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग और पहले ही प्रयास में राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा पास कर अपनी पूरी तहसील का नाम रोशन कर दिया। हिमाचल की राजधानी शिमला के जुन्गा का रजत भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि जुन्गा तहसील से सेना में अधिकारी बनने वाला रजत पहला युवा बन गया है।
देश भर में हासिल किया 43वां रैंक
रजत वर्मा मूल रूप से मशोबरा ब्लॉक के अंतिम छोर पर बसे गांव पीरन के रहने वाले हैं। छोटे से गांव से निकलकर रजत वर्मा ने वह मुकाम हासिल किया है, जो अब तक इस तहसील के लिए एक सपना था। रजत ने अपने पहले ही प्रयास में संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) परीक्षा उत्तीर्ण कर ऑल इंडिया रैंक 43 प्राप्त की है और इसके साथ ही वह जुन्गा तहसील से भारतीय सेना में अधिकारी बनने वाले पहले युवा बन गए हैं। उनकी इस ऐतिहासिक सफलता के बाद अब वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में देशसेवा करेंगे।
खास बात यह रही कि रजत ने सीडीएस जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी बिना किसी कोचिंग के की। उन्होंने इंटरनेट, पुस्तकों और आत्म.अध्ययन को अपना हथियार बनाया। रजत का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही सेना में जाकर देशसेवा करने का सपना देख लिया था और उसी लक्ष्य ने उन्हें निरंतर मेहनत के लिए प्रेरित किया।
रजत की इस उपलब्धि से पूरे क्षेत्र में उत्साह और खुशी का माहौल है। जुन्गा तहसील में पहली बार किसी युवक के सेना अधिकारी बनने की खबर ने युवाओं में नई ऊर्जा भर दी है। रजत के घर बधाई देने वालों का सिलसिला लगातार जारी है और हर कोई इस होनहार बेटे की सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है।
साधारण परिवार से संबंध रखते हैं रजत
साधारण परिवार में जन्मे रजत ने यह साबित कर दिया कि मजबूत इरादों के आगे संसाधनों की कमी आड़े नहीं आती। उनके पिता खजान सिंह वर्मा शिक्षा विभाग में अध्यापक हैं] जबकि माता शकुंतला वर्मा गृहिणी हैं। परिवार ने शुरू से ही रजत को अनुशासन, मेहनत और ईमानदारी के संस्कार दिए।
रजत ने अपनी प्रारंभिक से लेकर 12वीं तक की शिक्षा शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने डिग्री कॉलेज सोलन से बीए (अर्थशास्त्र) की पढ़ाई की। कॉलेज जीवन के दौरान रजत राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) से जुड़े रहे और अंडर ऑफिसर के रूप में अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। एनसीसी के जरिए उन्हें दो बार दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का अवसर मिला, साथ ही उन्हें डीजी एनसीसी मेडल से भी सम्मानित किया गया।
रजत ने अपनी प्रारंभिक से लेकर 12वीं तक की शिक्षा शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने डिग्री कॉलेज सोलन से बीए (अर्थशास्त्र) की पढ़ाई की। कॉलेज जीवन के दौरान रजत राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) से जुड़े रहे और अंडर ऑफिसर के रूप में अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। एनसीसी के जरिए उन्हें दो बार दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का अवसर मिला, साथ ही उन्हें डीजी एनसीसी मेडल से भी सम्मानित किया गया।
सेना से औपचारिक आदेश मिलने के बाद रजत वर्मा ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA), चेन्नई में प्रशिक्षण के लिए जाएंगे। उनकी यह सफलता आज हिमाचल के पहाड़ी इलाके से निकलने वाले हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। छोटे से गांव का यह बेटा अब पूरे देश के लिए गर्व का प्रतीक बन चुका है।












