CBI के विशेष जज जगदीप सिंह को जेड श्रेणी की सुरक्षा देगी सरकार

सीबीआई के विशेष जज जगदीप सिंह को जेड श्रेणी की सुरक्षा देने की तैयारी सरकार ने कर ली है। कभी भी सरकार की तरफ से यह सुरक्षा प्रदान कर दी जाएगी। डेरामुखी प्रकरण में कई साल की सुनवाई के बाद फैसला सुनाने वाले जगदीप सिंह की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इस लिहाज से सरकारी तौर पर यह मंथन चल रहा है। जज साहब का हेलीकॉप्टर रोहतक के लिए उड़ान भरने के साथ ही चंडीगढ़ में सुरक्षा पर मंथन शुरू हो गया था।

 

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सरकार ने डेरामुखी की पंचकूला पेशी से पहले भी विशेष न्यायाधीश की सुरक्षा बढ़ा दी थी, लेकिन अब सजा सुनाने के बाद यह सुरक्षा देना अहम विषय हो गया है। पंचकूला में पिछले दिनों हुए हिंसा के तांडव और देश भर में घूम रहे डेरे के करोड़ों समर्थकों को देखते हुए भी सुरक्षा दिया जाना अहम है। मालूम हो कि डेरा प्रमुख की जेड सुरक्षा सरकार ने पहले ही वापिस ले ली है। पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय डेरा प्रमुख को यह सुरक्षा उपलब्ध करवाई गई गई थी।

वर्तमान में हरियाणा में डेरा प्रमुख के अलावा अन्य किसी के पास जेड सुरक्षा नहीं थी। डेरामुखी से वापस ली गई सुरक्षा भी पेशी पर आने के बाद सरकार ने वापस ली है। हरियाणा के रहने वाले जगदीप सिंह पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अपनी ईमानदार और स्वच्छ छवि के लिए जाने जाते हैं। आज का यह फैसला देने के बाद जगदीप सिंह ने एक और मिसाल कायम की है।

साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाने वाले जज जगदीप सिंह ने अपने पांच साल के करियर में यह सबसे बड़ा फैसला सुनाया है। जज जगदीप सिंह जींद निवासी हैं और 2012 में न्यायिक सेवा में आए थे। इससे पहले वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में 2000-2012 के दौरान आपराधिक मुकदमों की वकालत करते रहे। सख्त मिजाज और बिना किसी दबाव के फैसला लेने वाले मशहूर न्यायाधीश ने सितंबर 2016 में सिरसा से पंचकूला आते हुए एक सड़क हादसे के घायलों को खुद की गाड़ी में जींद के अस्पताल में पहुंचाया था। इस दौरान एंबुलेंस न मिलने पर उन्होंने यह फैसला लेकर साबित कर दिया कि कानूनी विशेषज्ञ के साथ साथ वह मानवीय संवेदनाओं के प्रति भी बेहद संजीदे हैं।

15 साल पहले यौन शोषण मामले में गुरमीत राम रहीम को अलग-अलग दो मामलों में कुल 20 साल की सजा सुनाकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि दोषी चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून की पहुंच से दूर नहीं है।

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