शिमला में समरहिल के पास सांगटी में आज सुबह घरेलू नौकर का काम करने वाली एक नाबालिक नेपाली लड़की ने मालकिन द्वारा मारपीट किए जाने के बाद जहर खा कर जान देने की कोशिश की। उसे गम्भीर हालत में आईजीएमसी अस्पताल में आईसीयू में भर्ती किया गया है। वह पहले भी दो बार आत्महत्या का प्रयास कर चुकी है जिसे रफादफा कर दिया गया।
पुलिस ने इस गंभीर मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने मांग की है कि इस मामले में पुलिस तुरंत एफआईआर दर्ज करें और आरोपियों की गिरफ्तारी हो। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बार भी मामले को दबाने के लिए उस बच्ची और पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नाबालिक बच्ची सांगटी में एक शिक्षिका के घर में नौकरानी का काम करती थी और उसके साथ अक्सर मारपीट होती थी। वह पास के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने भी जाती थी। आज सुबह भी उसके साथ मारपीट हुई जिसे दुखी होकर उसने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया और स्कूल चली गई जहाँ उसकी तबीयत बिगड़ गई। इसकी सूचना मिलने पर पुलिस और चाइल्ड लाइन ने बच्ची को इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया।
बच्ची का कहना है कि वह अनाथ है और पिछले लगभग 6 वर्ष से वह उस शिक्षिका के घर पर नौकरानी का काम करती है उसके अनुसार उसकी एक बड़ी बहन भी है जो किसी अन्य परिवार के पास घरेलू नौकर का काम करती है और दसवीं कक्षा में पढ़ती है। हैरानी की बात यह है कि पिछले लगभग 6 वर्षों से एक अनाथ बच्ची को घर पर रखकर नौकरानी का काम करने उसके साथ मारपीट करने और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर मामले के बावजूद पुलिस ने अभी तक FIR दर्ज नहीं की है। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. श्रीवास्तव ने कहा की उनकी संस्था इस मामले को रफा-दफा नहीं होने देगी और अंजाम तक पहुंचाएगी उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है क्योंकि इसमें उस अनाथ बच्ची को कोई अपने घर में घरेलू नौकर बनाकर नहीं रख सकता था। उसे सरकार के किसी बालिका आश्रम में भेजा जाना चाहिए था। एक अनाथ बच्ची को गैरकानूनी ढंग से घर में नौकर रखना, उसकेसाथ मारपीट करना और इस हद तक यातनाएं देना कि वह तीन बार आत्महत्या की कोशिश करे, बहुत गंभीर मामला है।
उन्होंने राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष किरण धानटा से मांग की है कि आयोग उस बच्ची को अस्पताल से छुट्टी होते ही शिमला के टूटीकंडी स्थिति बालिकाश्रम में शरण दिलाए।
उमंग फाउंडेशन ने यह मांग भी की है कि इस बच्ची की दूसरी बहन को भी उस परिवार के चंगुल से छुड़ाया जाए जहां वह बाल मजदूरी कर रही है। दोनों बहनों को टूटीकंडी स्थित बालिका आश्रम में भेजा जाना चाहिए। सरकार को उनकी पढ़ाई भी सुनिश्चित करनी चाहिए।