रिऑग्रेनाइजेशन एक्ट1948 से राजा रजवाडो से लेकर बड़े भूस्वामियों से असीमित जमीन ले ली गई थी यह जमीन किसानो दलितों और भूमिहीनों को दी जानी थी 1950 के बाद भी किसान मामला यानी मालगुजारी देते थे । 1954 में एचपी विद लेंड एस्टेट एब्युलेशन एक्ट, लेंड सीलिंग एक्ट 1972 के तहत सरकार को काफी जमीन हासिल हो गई थी ।1974 में हिमाचल विले कॉमन लेंड,वेस्टिंग यूटिलाइजेशन एक्ट के तहत शामलात जमीन किसानो से छिन कर सरकार को चली गई थी ।
2001 में भाजपा की सरकार ने 1974 के एक्ट में संशोधन किया । धाराओ में संशोधन हुवा कि जो किसान 26 जनवरी 1950 से पहले राजस्व को कर अदा कर रहे थे , वे सभी मालिक बनाए गए । दिसम्बर 2001 में वित्तायुक्त राजस्व ने भी आदेश जारी किए थे । और अब शिलाई के उपमण्डल कलेक्टर की सिफारिश पर शामलात जमीन से जुडी पूर्व की सभी तकसीमो व् इतकालो को निरस्त कर दिया गया । शिलाई विधायक बलदेव तोमर ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि शिलाई के किसानो को 2001 में धूमल सरकार पुरे प्रदेश में शामलात भूमि को किसानो को वापिस दे दी थी जिसमे से शिलाई में एक लाख 4,163 बीघा शामलात जमीन किसानो को मिली थी । तकसीम के जरिए किसान मालिक बन गए थे । जो प्रदेश की कांग्रेस को रास नही आई और प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने शिलाई के किसानो से एक लाख 4,163 बीघा शामलायत जमीन वापिस ले ली गई ।
शिलाई विधायक बलदेव तोमर ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा की प्रदेश की कांग्रेस सरकार खुद को किसानो की हितेषी बताती रही पर उनका झूट बेनाकाप हो गया है । कांग्रेस सरकार ने साबीत कर दिया है कि वो किसानो के हितेषी नही बल्कि किसान विरोधी है । शिलाई विधायक बलदेव तोमर ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने और उनके अधिकारियो ने गुप्त तरीके से शिलाई के किसानो के साथ विश्वास घात किया है । विधायक बलदेव तोमर ने कहा कि किसानो के हक को छीनने नही दिया जाएगा । उसके लिए चाहे सारी हदे पार करने पड़ी किसानो के हक के लिए हर प्रकार की लड़ाई लड़ी जाएगी ।