पांवटा साहिब में राहुल गांधी का प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला, बेरोजगारी-जीएसटी-नोटबंदी…

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Khabron wala हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थान देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। ऐसे ही एक शिक्षण संस्थान ने अब एक नया इतिहास रच दिया है। दरअसल हिमाचल के मंडी जिला में स्थित आईआईटी मंडी के नाम एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। नवाचार और स्टार्टअप की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए संस्थान को देशभर में यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर का खिताब मिला है। आईआईटी मंडी को दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा दिल्ली में आयोजित एफआईसीसीआई हायर एजुकेशन एक्सीलेंस अवॉर्ड्स 2025 में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संस्थान को दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा। इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर और एक्सीलेंस इन क्रिएटिंग एंप्लॉयमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप शामिल हैं। यह सम्मान आईआईटी मंडी को हिमालयी क्षेत्र में 400 से अधिक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए दिया गया है। संस्थान के नवाचार आधारित शोध कार्यों ने न केवल युवाओं को नए अवसर प्रदान किए हैं, बल्कि देश को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर भी अग्रसर किया है। नवाचार और स्टार्टअप्स में नई पहचान आईआईटी मंडी बीते कुछ वर्षों में स्टार्टअप और इनोवेशन के क्षेत्र में तेजी से उभरा है। संस्थान की रिसर्च लैब्स और इनक्यूबेशन सेंटर ने सैकड़ों युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने का मौका दिया है। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक इन स्टार्टअप्स ने नई दिशा दी है। आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा ने कहा कि यह उपलब्धि पूरे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। यह सम्मान हमारे संकाय छात्रों और स्टाफ की कड़ी मेहनत का नतीजा है। हम नवाचार की संस्कृति को मजबूत कर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि संस्थान का फोकस केवल शोध तक सीमित नहीं है, बल्कि अनुसंधान के व्यावहारिक उपयोग, उद्योगों से साझेदारी और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर भी है। आईआईटी मंडी का मानना है कि देश में तकनीकी नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम को सशक्त बनाकर ही रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। यही कारण है कि संस्थान में कई शोध परियोजनाएं सीधे सामाजिक और औद्योगिक जरूरतों से जुड़ी हुई हैं। इस उपलब्धि के बाद आईआईटी मंडी ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका लक्ष्य केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी उसकी भूमिका अहम होगी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निशाने पर आज सूबे में पहली जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही निशाने पर रहे। कांगे्रस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बेरोजगारी-जीएसटी व नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार की घेराबंदी की। राहुल ने सवाल उठाया कि चुनाव के दौरान मोदी ने वादा किया था कि हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देंगे।
उन्होंने कहा कि जहां चीन 24 घंटे में 50 हजार युवाओं को रोजगार देता है, वहीं मोदी सरकार महज 450 तक की सिमटी हुई है। उन्होंने कहा कि देश के बेेरोजगारों को मोदी सरकार ने गुमराह किया है। राहुल ने कहा कि सत्ता में आने पर जीएसटी में बदलाव किए जाएंगे, ताकि छोटे व मंझले दुकानदारों को इससे हो रही परेशानी से निजात दिलाई जा सके। राहुल ने कहा कि जीएसटी ने आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि 8 नवंबर को नोटबंदी का एक साल पूरा हो रहा है, जो देश के इतिहास में एक काला दिवस होगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार की बात करती है, लेकिन यह कैसे भूल रही है कि मध्य प्रदेश में घोटाला होता है, जहां 50 लोग मारे जाते हैं। प्रधानमंत्री जी इस पर कुछ नहीं बोलते हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि अगर गुजरात की हिमाचल से तुलना की जाए तो पहाड़ी राज्य विकास के मामले में कहीं आगे है। राहुल गांधी ने दोनों राज्यों की विकास कार्यों में तुलना भी की। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी ने गुजरात को खोखला करके रख दिया है। किसानों की जमीनों को गिरवी रख दिया गया है। राहुल गांधी ने कहा कि यूपीए सरकार ने मनरेगा के लिए 35 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, जिससे करोड़ों लोगों को रोजगार नसीब हुआ, लेकिन मोदी सरकार ने इतनी ही राशि नैनो कार बनाने के लिए दे दी। लेकिन आम लोगों को क्या मिला। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी गंभीर मसलों पर तो जवाब दीजिए।
आपने की कहा था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। तो आप ही बता दीजिए कि अमित शाह के बेटे की कंपनी 80 करोड़ की अचानक कैसे हो गई। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि मोदी जी बताएं कि नोटबंदी से मिला कालाधन कहां है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी में एक भी अमीर आदमी लाइनों में नजर नहीं आया। आम आदमी ही प्रभावित हुुआ। इस मौके पर कांग्रेस के हिमाचल प्रभारी सुशील कुमार शिंदे, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सुखविन्द्र सिंह सुक्खू व पार्टी प्रत्याशियों के अलावा कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी मौजूद रहे।

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Khabron wala हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थान देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। ऐसे ही एक शिक्षण संस्थान ने अब एक नया इतिहास रच दिया है। दरअसल हिमाचल के मंडी जिला में स्थित आईआईटी मंडी के नाम एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। नवाचार और स्टार्टअप की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए संस्थान को देशभर में यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर का खिताब मिला है। आईआईटी मंडी को दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा दिल्ली में आयोजित एफआईसीसीआई हायर एजुकेशन एक्सीलेंस अवॉर्ड्स 2025 में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संस्थान को दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा। इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर और एक्सीलेंस इन क्रिएटिंग एंप्लॉयमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप शामिल हैं। यह सम्मान आईआईटी मंडी को हिमालयी क्षेत्र में 400 से अधिक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए दिया गया है। संस्थान के नवाचार आधारित शोध कार्यों ने न केवल युवाओं को नए अवसर प्रदान किए हैं, बल्कि देश को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर भी अग्रसर किया है। नवाचार और स्टार्टअप्स में नई पहचान आईआईटी मंडी बीते कुछ वर्षों में स्टार्टअप और इनोवेशन के क्षेत्र में तेजी से उभरा है। संस्थान की रिसर्च लैब्स और इनक्यूबेशन सेंटर ने सैकड़ों युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने का मौका दिया है। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक इन स्टार्टअप्स ने नई दिशा दी है। आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा ने कहा कि यह उपलब्धि पूरे संस्थान के लिए गर्व का क्षण है। यह सम्मान हमारे संकाय छात्रों और स्टाफ की कड़ी मेहनत का नतीजा है। हम नवाचार की संस्कृति को मजबूत कर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि संस्थान का फोकस केवल शोध तक सीमित नहीं है, बल्कि अनुसंधान के व्यावहारिक उपयोग, उद्योगों से साझेदारी और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर भी है। आईआईटी मंडी का मानना है कि देश में तकनीकी नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम को सशक्त बनाकर ही रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। यही कारण है कि संस्थान में कई शोध परियोजनाएं सीधे सामाजिक और औद्योगिक जरूरतों से जुड़ी हुई हैं। इस उपलब्धि के बाद आईआईटी मंडी ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका लक्ष्य केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी उसकी भूमिका अहम होगी।

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