(जसवीर सिंह हंस ) गौरतलब है की फर्जी एम-फार्म और बिलों को लेकर आठ माह पहले भी रोहित गोयल और इसके एक साथी को पुलिस ने पकड़ा किया था। इतना ही नहीं उनके पास से फर्जी एम-फार्म और बिल एक फर्म (बलदेव भण्ड़ारी फर्म ) के नाम से बरामद हुए थे। इसके दौरान इस अंर्तराज्जीये गिरोह से लैपटाप कम्पुटर भी बरामद हुए थे इतना ही नही मामले में एक ट्रक चालक को भी पकड़ा गया था जिसने फर्जी बिल और एम-फार्म रोहित गोयल से बनवाए थे । लेकिन मामले को पुलिस ने रफा-दफा कर दिया था।
लेकिन मामले को पुलिस ने क्यों रफा-दफा कर दिया था । ये जाँच का विषय है कि क्या सेटिंग हुई थी की आरोपी को एक डी एस पी लेवल के अधिकारी के दवारा छापेमारी व जाँच के बावजूद आरोपी के खिलाफ कोई कारेवाही नहीं की गयी | मीडिया दवारा इस मामले को प्रमुखता से उठाया गया था व फर्जी बिल और एम-फार्म मामले के अन्य मामलो में भी कई खबरे प्रकाशित हुई थी |परन्तु अब आरोपी रोहित गोयल के पुलिस की गिरफ्त में आ जाने के बाद ये भी जाँच जरुरी है कि उस समय मामला क्यों दबा दिया गया था व यदि इस मामले में पुलिस अधिकारियों की कोई मिलीभगत सामने आती है तो उनके खिलाफ भी कड़ी कारेवाही की जानी चाहिए |
वाही इस मामले में शहर के एक सफेदपोश का नाम भी सामने आ रहा है कि इस काम में उसकी भी हिस्सेदारी हो सकती है ये भी जाँच का विषय है कि आरोपी ने किसकी दुकाने किराये पर ली और कब से वो यहाँ काम कर रहा है | ये भी जाँच का विषय है कि आरोपी ने जी.एस.टी. नंबर कैसे लिया और किसकी गारंटी पर लिया | ये भी सामने आया है कि यदि इस मामले में उच्च स्तर की जाँच होती है कई सफेदपोश व पुलिस अधिकारी की जाँच के दायरे में आ सकते है |
आठ महीने पहले 13 जुलाई को दोपहर पुलिस बल के साथ पहुचे पुलिस के अधिकारियो जिनका नेत्रत्व डी एस पी प्रमोद चौहान कर रहे थे ने यमुनाघाट स्थित एक दुकान शिव शंकर ट्रांसपोर्ट कम्पनी पर छापेमारी की थी | दुकान चलाने वाला आरोपी मोके से पहले फरार हो गया था आरोपी उत्तरपदेश के छुटमलपुर का रहने वाला बताया गया था बाद में आरोपी से डी एस पी ऑफिस में भी पूछताछ हुई थी |
उस समय डी एस पी को शिकायत मिली थी कि यमुनाघाट स्थित एक दुकान शिव शंकर ट्रांसपोर्ट कम्पनी नकली 26 नंबर फॉर्म भरकर दे रहा था ये क्रेशर से भरी रेत बजरी भरकर लाई गयी गाडियों के बिलों से कॉपी करकर यमुना नदी से अवैध खनन करकर लाई गयी गाडियों को मोटी रकम लेकर दिए जाते थे व रात के समय काफी संख्या में गाडियों को ये बिल देकर मोटी कमाई की जा रही थी | ये फॉर्म एक अन्य दुकान पर कटे बिलों के नंबर के कॉपी होते थे | पुलिस ने मोके से कंप्यूटर , प्रिंटर व अन्य दस्तावेज जप्त कर लिए है | व दुकान पर ताला लगा कर चाबी अपने कब्जे में ले ली थी | परन्तु बाद में मामला रफा दफा कर दिया गया था |