क्या आम आदमी पार्टी ने छोड़ दिया है हिमाचल प्रदेश का मैदान?

क्या आदमी पार्टी को ऐसा लगता है कि वह हिमाचल प्रदेश में कुछ खास नहीं कर पाएगी। आखिर जिस तरह का जबरदस्त चुनाव प्रचार अरविंद केजरीवाल ने मार्च से लेकर अगस्त तक किया उसमें अब कमी क्यों आ गई है।

दिल्ली और पंजाब में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने क्या हिमाचल प्रदेश का चुनाव मैदान छोड़ दिया है। यह सवाल आम आदमी पार्टी की राज्य में कम हो रही सक्रियता से खड़ा हुआ है।

You may also likePosts

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। राज्य में 12 नवंबर को एक चरण में वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे। यह साफ है कि वोटिंग में  कम  वक्त  रह गया है।

इस साल मार्च में पंजाब के चुनाव में भारी भरकम जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे शुरू किए थे। केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश की जनता से तमाम बड़े वादे किए और बड़े बदलावों के लिए एक मौका देने की अपील की।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन को राज्य का प्रभारी बनाया था लेकिन जैन को मई के आखिर में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था और वह जेल में हैं। तब से प्रभारी जैसा अहम पद खाली था और शुक्रवार को पार्टी ने पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया है।

सवाल यहां यह खड़ा हो रहा है कि जिस तरह की सक्रियता अरविंद केजरीवाल और पार्टी के तमाम नेताओं ने पंजाब के नतीजों के बाद हिमाचल में दिखाई थी, उसमें जबरदस्त गिरावट क्यों आ गई है। हिमाचल प्रदेश ऐसा राज्य है जो पंजाब से लगता हुआ है और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। ऐसे में निश्चित रूप से अरविंद केजरीवाल को ज्यादा ताकत इस छोटे राज्य में लगानी चाहिए थी क्योंकि यहां उन्हें गुजरात के मुकाबले ज्यादा चुनावी सफलता मिल सकती थी और शुरुआती महीनों में उन्होंने ऐसा किया भी।

लेकिन पिछले तीन महीनों में केजरीवाल ने पूरा जोर गुजरात पर ही लगाया है और ऐसा लगता है कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश से मुंह मोड़ लिया है। पंजाब में सरकार बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ हिमाचल के कई दौरे किए लेकिन अब वह सक्रियता खत्म होती दिख रही है।

क्या आदमी पार्टी को ऐसा लगता  प्रदेश में कुछ खास नहीं कर पाएगी। आखिर जिस तरह का जबरदस्त चुनाव प्रचार अरविंद केजरीवाल ने मार्च से लेकर अगस्त तक किया उसमें अब कमी क्यों आ गई

विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए लगातार मेहनत करनी पड़ती है लेकिन पार्टी के सबसे बड़े चेहरे और पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल में अपनी सक्रियता लगभग शून्य क्यों कर दी है, इसके पीछे यही कहा जा रहा है कि शायद पार्टी को हिमाचल से बेहतर नतीजों की उम्मीद नहीं है और इसीलिए केजरीवाल यहां अपनी ऊर्जा और वक्त नहीं खर्च करना चाहते हैं।

लेकिन यहां सवाल यह खड़ा होता है कि अगर बेहतर नतीजों की उम्मीद नहीं है तो भी क्या किसी राजनीतिक दल को चुनाव मैदान छोड़ देना चाहिए। राजनीति में जीत हासिल करने के लिए लगातार संघर्ष और जनता से जुड़े रहने की जरूरत होती है।

यहां याद दिलाना होगा कि इस साल अप्रैल में हिमाचल में आम आदमी पार्टी के तत्कालीन प्रदेश संयोजक अनूप केसरी, महामंत्री सतीश ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गए थे। अनूप केसरी की जगह सुजीत ठाकुर को पार्टी का संयोजक बनाया गया है।

Related Posts

Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!