आई पी एच विभाग का कारनामा पहले लगाए 52 अवैध हैंड पंप, अब विभाग उनकी टेंडर प्रक्रिया और एसटिमेट तैयारी में जुट गया है ।उधर उच्च अधिकारियों ने संकेत दिए है कि अनियमितताएं सामने आई तो ऐसा करने वाले अधिकारियों पर गाज़ गिरना तय है।
आईपीएच पांवटा साहिब हैंडपंप मामले में बडी़ घपले बाजी सामने आई है। इस मामले में सीधे सीधे पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है। वहीं वॉटर एक्ट नियम की धज्जिया भी उड़ाई गई हैं। सिर्फ भाजपा के छुटभेया नेता व चहेते ठेकेदारो को मोटी रकम के लाभ पहूंचाने के लिए विभागिए अधिकारियों ने काम किया है।
क्या है सिस्टम : किसी भी विभाग में किसी कार्य को लेकर सबसे पहले एसटिमेट तैयार किया जाता है । उसके बाद उस कार्य को लेकर टेंडर प्रक्रिया की जाती हैं। सबसे कम रेट भरने वाले ठेकेदार को काम दिया जाता है। लेकिन आई पी एच पांवटा साहिब ने बिना टेंडर 52 हैंडपंप लगवा दिए अब उनके टेंडर प्रक्रिया कर रहा है और एसटिमेट तैयार कर रही है। गौर हो की चीफ़ इन्जीनियर कार्यलय से केेवल 10 हैंडपंप लगाने की परमीशन थी जबकि विभाग ने 52 हैैंडपंप अधिक लगा दिए।
ये है अनियमितताएं : लगाए गए 52 हैंडपंप वाटर एक्ट को दरकिनार कर लगाए गए हैं। वाटर एक्ट के तहत हर हैंडपंप में 200 मीटर तक दूरी जरूरी है। वही दूसरी ओर हैंडपंप के लिए विभागगिए सर्वेयर की एनओसी नही ली गई है। बिना अनुमति विभाग ने 600 मीटर से अधिक एक इंच पांइप बिछा दी गई है।
अधिकारियों पर गिर सकती है गाज़ : इस बारे में चीफ इंजीनियर एस के धीमान ने पांवटा अधिकारियों से पैसे की अनियमितताएं व दुरुपयोग को लेकर फाइल मंगवाई है। उनका कहना है अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो गम्भीर विषय है नोकरी पर भी गाज़ गिर सकती है।