बीड बिलिंग राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग स्कूल पर क्यों लटका है ताला: जयराम ठाकुर

अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से संचालित हो राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग स्कूल

करोड़ों खर्च के बाद भी सरकार नेशनल पैराग्लाइडिंग स्कूल का नहीं ले रही लाभ

पैराग्लाइडिंग स्कूल के बेहतर संचालन से बदलेगी इलाके की सूरत

प्रदेश को होगा करोड़ों का राजस्व अर्जन और हजारों रोजगार का होगा सृजन

Khabron wala 

शिमला: शिमला से जारी बयान में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि बीड बिलिंग के राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग स्कूल का उद्घाटन होने के 9 महीने बाद भी बंद पड़ा है। जहां पर सैकड़ो बच्चे हर साल ट्रेनिंग लेकर ट्रेन पैराग्लाइडिंग पायलट बन सकते थे वह संस्थान सरकार की नाकामियों और राज्य सरकार के विभिन्न विभाग केबीच तालमेल की कमी की भेंट चढ़ चुका है। हिमाचल प्रदेश को प्रकृति द्वारा प्रदत्त पैराग्लाइडिंग की बेहद अनुकूल परिस्थितियों के बाद भी सरकार लाभ नहीं उठा पा रही है। केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत पूर्व सरकार द्वारा 8 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग स्कूल का बीड बिलिंग में निर्माण किया गया था। इसका उद्घाटन भी मुख्यमंत्री द्वारा 25 जनवरी 2025 को किया जा चुका है। उद्घाटन में डेढ़ साल से ज्यादा की देरी के बाद भी यह स्कूल संचालित नहीं हो पाया है। मेरा सुख की सरकार और मुख्यमंत्री से आग्रह है कि एशिया के पहले नेशनल पैराग्लाइडिंग स्कूल का संचालन सरकार अंतर्राष्ट्रीय मानको और नियमों के अनुसार किया करें। जिससे यहां से प्रशिक्षित होकर जाने वाले पायलट के लाइसेंस को पूरी दुनिया के विभिन्न संगठन मान्यता दें। पूरी दुनिया के खिलाड़ी बीड बिलिंग में आकर विभिन्न प्रकार के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं लेकिन दुख इस बात का है कि देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों का लाइसेंस दूसरे देश द्वारा जारी होता है। इस खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही पूर्व सरकार द्वारा इस स्कूल का निर्माण केंद्र सरकार के सहयोग से करवाया गया था।

जय राम ठाकुर ने कहा कि बीड बिलिंग को क्रॉस-कंट्री पैराग्लाइडिंग के लिए दुनिया के सबसे सुरक्षित स्थलों में से एक माना जाता है और इसे अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के अनुरूप संस्थागत समर्थन की आवश्यकता है। हिमाचल में राज्य-स्तरीय महासंघ और अंतर्राष्ट्रीय पायलट प्रवीणता सूचना लाइसेंस ( आईपीपीआई) जारी करने हेतु अधिकृत निकाय की स्थापना न होने के कारण भारत में पायलट प्रमाणन और प्रशिक्षण का लाइसेंस देने पर रोक है। इसकी वजह से दशकों से भारत को पैराग्लाइडिंग के खेल में मान्यता के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय वायु खेल दिशानिर्देश (एनएएसजी) 2023 के साथ, पैराग्लाइडिंग को ज़िम्मेदारी से बढ़ावा देने के लिए अब नियामक ढाँचा मौजूद है। सरकारी यदि उस गाइडलाइंस को मानते हुए काम करें और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य करते हुए पैराग्लाइडिंग के स्कूल चलाने की दिशा में काम करें तो न सिर्फ राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग स्कूल हर साल सैकड़ो प्रशिक्षित पायलट तैयार कर उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाइसेंस प्रदान करेगा बल्कि निजी क्षेत्र में भी स्कूल खोले जाने के अवसर बनेंगे। इसके लिएबनिजी क्षेत्र में भी पैराग्लाइडिंग स्कूल खोलने से संबंधित दिशा निर्देश सरकार को बनाने चाहिए। जिससे एरो स्पोर्ट्स के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश नए आयाम स्थापित कर सकता है।

इसलिए लाइसेंसिंग को औपचारिक रूप देने के लिए एयरो क्लब ऑफ इंडिया (एसीआई) और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच तत्काल समन्वय का स्थापित किया जाए, जिससे स्थानीय पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षकों के लिए नए रास्ते खुलेंगे।

जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार नेशनल पैराग्लाइडिंग स्कूल के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार संचालित करने, अंतर्राष्ट्रीय लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पूरा कर मानकीकृत लाइसेंस देने से प्रदेश में पैराग्लाइडिंग के प्रशिक्षण के क्षेत्र में अपार संभावनाएं पैदा होगी। इससे न सिर्फ उसे क्षेत्र की सूरत बदलेगी बल्कि हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा करोड़ों का राजस्व हर वर्ष प्रदेश को प्राप्त होगा। सरकार को पाठ्यक्रम शुल्क और उपकरणों की बिक्री पर जीएसटी से राज्य को लाभ होगा। कांगड़ा, मंडी समेत प्रदेश की पर्यटन और अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। लाइसेंस प्राप्त और उचित रूप से प्रशिक्षित पायलट अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे ल। इससे हिमाचल भर में टैंडम संचालन के सुरक्षा मानकों में भी सुधार होगा

Related Posts

Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!