शिमला स्थित बैंटनी कैसल को 25 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार कर पर्यटन के मुख्य आकर्षण केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा। यह जानकारी आज मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने भाषा कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा पांच दिवसीय राज्य स्तरीय ग्रामीण शिल्प मेले का उद्घाटन करने के उपरान्त दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंटनी कैसल शिमला शहर का एक ऐतिहासिक एवं धरोहर भवन है, जिसका समृद्ध इतिहास है। उन्होंने कहा कि इस परिसर को सम्पूर्ण रूप से विकसित कर पर्यटकों के आकर्षण का ही नहीं बल्कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का केन्द्र भी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा क यह भवन न केवल ऐतिहासिक है बल्कि एंग्लो-गोथिक वास्तुकला का सुन्दर उदाहरण भी है। उन्होंने कहा कि यह भवन मालरोड पर स्थित होने के कारण पर्यटकों के लिए और भी आकर्षण का केन्द्र होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंटनी कैसल में ग्राम शिल्प मेला आयोजित कर एक नई शुरूआत की है, जिसमें प्रदेश के विभिन्न भागों के शिल्पकारों को अपने वास्तुशिल्प प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंनें कहा कि प्रदेश के प्रत्येक ज़िले की अपनी अलग पहचान है और प्रदेश सरकार शिल्पकारों को उनके उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध करवाने के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ज़िला स्तरीय ग्राम शिल्प मेलों के आयोजन के अतिरिक्त अंतर-राज्य ग्राम शिल्प मेलों का भी आयोजन करेगी ताकि प्रदेश की वास्तुकला को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि ग्राम शिल्प मेलों में प्रदेश के सभी ज़िलों के वास्तुकार भाग लेंगे और यह हम सभी का दायित्व बनता है कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा दें।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश की लोक गाथाओं, ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना ‘आज पुरानी राहों से’ आरम्भ करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश के वाद्य यंत्रों, चम्बा रूमाल, कांगड़ा पेंटिंग इत्यादि को लघु आकृति के सांस्कृतिक प्रतीकों के रूप में तैयार करने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पर्यटकों को इन उत्पादों को साथ ले जाने के लिए कम स्थान की आवश्यकता पड़ेगी बल्कि इससे प्रदेश की प्रसिद्ध वास्तुकला भी संरक्षित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सांस्कृतिक विविधता एवं समृद्ध इतिहास के दृष्टिगत अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अनेक ऐतिहासिक भवन व धरोहर हैं जिन्हें पर्यटन के मुख्य आकर्षण के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर भाषा कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा तैयार की गई वास्तुकारों की निर्देशिका व ब्रोशर का भी विमोचन किया।
भाषा कला एवं संस्कृति सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है और ग्राम शिल्प मेलों से प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को प्रस्तुत करने का अवसर उपलब्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि ग्राम शिल्प मेलों को प्रदेश के अन्य भागों में भी आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग हिमाचली वास्तुशिल्प की सभी कलाकृतियों को लघु आकृति में तैयार करने का प्रयास कर रहा है।
भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की निदेशक रूपाली ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर खादी बोर्ड के उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट, उपमहापौर राकेश शर्मा, उपायुक्त शिमला अमित कश्यप, निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क अनुपम कश्यप, आर्थिक एवं साख्यकीय विभाग के सलाहकार प्रदीप चौहान, उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक प्रो. शोभगयावर्धन भी उपस्थित थे।