उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कई पुलिस अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 और हाई कोर्ट द्वारा बेसहारा मनोरोगियों के बारे में 4 जून 2015 को दिए गए स्पष्ट आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था ने बेसहारा मनोरोगियों के कानूनी अधिकार सुरक्षित करने के लिए एक राज्यव्यापी अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम और हाईकोर्ट के आदेशों के मुताबिक यह जिम्मेवारी पुलिस की है कि वह अपने क्षेत्र में बेसहारा घूमने वाले मनोरोगियों का संज्ञान ले। उन्हें अपने संरक्षण में लेकर नजदीकी न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास पेश करें। मजिस्ट्रेट मनोरोगियों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच, इलाज और पुनर्वास का आदेश देते हैं।
उन्होंने बताया कि 4 जून 2015 को हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिया था कि वह बेसहारा मनोरोगियों के बारे में कानून का सख्ती से पालन करें। लेकिन ज्यादातर पुलिस अधीक्षक जानबूझकर कानून और हाई कोर्ट को ठेंगा दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में उमंग फाउंडेशन ने गत फरवरी में राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन सौपकर कानूनी प्रावधानों के तहत बेसहारा मनोरोगियों के इलाज एवं पुनर्वास की मांग की थी। लेकिन इसके बावजूद सोलन, सिरमौर और कुल्लू के पुलिस अधीक्षकों को फाउंडेशन द्वारा बेसहारा मनोरोगियों की निश्चित जानकारी दिए जाने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के गृह सचिव ने 17 फरवरी और पुलिस महानिदेशक ने 20 फरवरी को सभी पुलिस महानिरीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम तथा हाईकोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन करने के आदेश दिए। इसके बावजूद बेसहारा मनोरोगी सड़कों पर नर्क से बदतर जिंदगी जीने पर मजबूर हैं ।अजय श्रीवास्तव ने कहां की सोलन जिले में शिमला बिलासपुर रोड पर चमाकड़ी पुल के पास एक रेन शेल्टर में गंभीर हालत में रह रहे मनोरोगी के बारे में उन्होंने पुलिस अधीक्षक अंजुम आरा को 16 फरवरी को पत्र भेजा था और कई बार उन्हें फोन भी किया। इसके बावजूद जब उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया तो संस्था ने उनके खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना का मामला दायर करने का फैसला किया है। इस दौरान यदि उस बेसहारा मनोरोगी को कुछ हो गया तो उस की जिम्मेवारी सोलन की पुलिस अधीक्षक की होगी।
इसी तरह सिरमौर की पुलिस अधीक्षक सौम्या संबाशिवम ने पावटा साहिब मैं दो बेसहारा महिला मनोरोगियों और सतौन में दो बेसहारा पुरुष के बारे में निश्चित जानकारी पत्र और फोन द्वारा दिए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। कुल्लू के पुलिस अधीक्षक ने भी उमंग फाउंडेशन द्वारा बेसहारा मनोरोगियों की सूचना दिए जाने के बावजूद लापरवाही बरती। उमंग फाउंडेशन ने इन हालात में कुछ पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना का मामला दायर करने का फैसला किया है। इसके अलावा राज्य में मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के प्रावधानों को लागू कराने के लिए एक ढांचागत व्यवस्था बनाए जाने की मांग को लेकर एक अलग जनहित याचिका दायर की जाएगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उमंग फाउंडेशन के ट्रस्टी सुरेंद्र कुमार, विमला ठाकुर और एडवोकेट बलवंत सिंह ठाकुर भी मौजूद थे।