उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर तथा वन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने आज यहां जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार जब जब भी प्रदेश में सत्ता में रही है, प्रदेश में भ्रष्टाचार के नये आयाम स्थापित हुए हैं। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी की सरकार अपने कार्यकाल के दौरान बुरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त थी उस पार्टी के नेताओं को नैतिकता की बात करना शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि विगत कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का जो रिकार्ड बना उसकी गिनती करना भी संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अपने विगत कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार का ध्यान प्रदेश के विकास की ओर कम तथा अपने मुख्यमंत्री को कोर्ट-कचहरी से बचाने में व्यतीत हुआ। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि जब प्रदेश का मुखिया और उनका पूरा परिवार जमानत पर रहा।
बिक्रम सिंह और गोविन्द ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश में शराब के थोक व्यापार के लिए गठित किए गए हिमाचल प्रदेश बेवरेज लिमिटेड की स्थापना से प्रदेश केे राजस्व को 200 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र उद्देश्य अपने चहेतों को करोड़ों रूपये का लाभ पहुंचाना था।
उद्योग मंत्री एवं वन मंत्री ने कहा कि इस लिमिटेड की स्थापना तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा तत्कालीन आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चैधरी द्वारा विभाग की संस्तुति को नजरअंदाज करते हुए की गई थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा कम्पनी के गठन के लिए उचित समय दिए बिना की गई थी, जबकि उस समय प्रदेश में एल-1 व एल-13 थोक विक्रय लाईसेंस की एक सुदृढ़ प्रक्रिया उपलब्ध थी।
मंत्रियों ने कहा कि कम्पनी को डिस्टलरों व बोटलरों से शराब खरीद कर परचून वितरकों को जारी करनी थी। इसमें उधार लेन-देन नहीं होना था और हिमाचल प्रदेश बेवरेज लिमिटेड को केवल नकद भुगतान के बाद ही परचून विक्रेताओं को शराब पहुंचानी थी। उन्होंने कहा कि इस कम्पनी ने ऐसा नहीं किया और परचून विक्रेताओं को उधार पर शराब दी जिससे कम्पनी को भारी नुक्सान हुआ और परचून विक्रेताओं के पास भारी मात्रा में उधार फंस गया। इसके अतिरिक्त चार कम्पनियों को भंडारण लाईसेंस दिए गए जिनमें रंगड़ बूरूरी, सीबकस, ब्लयू लाईन व जी.आई. सी. शामिल है।
उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रदेश के विभिन्न जिलों में पुलिस थानों में 14 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं तथा उगाही के लिए के प्रदेश की विभिन्न अदालतों में 20 सिविल सूट दर्ज किया गए हैं।
इन मंत्रियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश बेवरेज लिमिटेड को तात्कालीन प्रदेश कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के ऊना, चम्बा तथा किन्नौर जिलों में परचून व्यापार करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि परचून व्यापार कम्पनी के किसी भी अनुच्छेद का हिस्सा नहीं था व न ही इसके लिए कम्पनी को प्राधिकृत किया गया था। उन्होंने कहा कि इन तीन जिलों में कम्पनी का परचून व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ और प्रदेश के राजस्व को 67 करोड़ रूपये का नुक्सान हुआ।