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सिरमौर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने नाहन बस स्टैंड स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण की, बिंदल ने जानकारी देते हुए कहा कि पूरे प्रदेश भर में डॉ भीमराव अंबेडकर की जन्म जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है जिसके तहत भाजपा सभी 171 मंडलों में कार्यक्रम कर अंबेडकर जी को श्रद्धांजलि दे रही है।

बिंदल ने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी और उनके नेता ही थे जिन्होंने अंबेडकर जी का अपमान सैकड़ो बार किया है। कांग्रेस पार्टी ने अम्बेडकर को भारत रत्न देने से इनकार कर दिया था, जिससे कांग्रेस पार्टी की सोच स्पष्ट रूप से दिखाई देती है कि अंबेडकर जी के प्रति उनकी क्या भावनाएं थी।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान और सामाजिक न्याय सुधारों में डॉ. अंबेडकर के अद्वितीय योगदान के बावजूद, कांग्रेस ने उन्हें उचित सम्मान देने से इनकार किया। नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान डॉ. अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया गया, 1970 में कांग्रेस ने एन. एस. काजरोलकर को पद्म भूषण से सम्मानित किया, जिन्होंने 1952 के चुनावों में डॉ. अंबेडकर को हराया था, 1990 में श्री वी.पी. सिंह के नेतृत्व में एक गैर-कांग्रेसी सरकार सत्ता में थी और जिसे भाजपा का समर्थन प्राप्त था, तब डॉ. आंबेडकर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसी अवधि में, अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों से संसद भवन में डॉ. आंबेडकर का चित्र स्थापित किया गया।

दो बिंदल ने कहा कि आपातकाल से लेकर आरक्षण तक कांग्रेस पार्टी ने केवल संविधान को कमजोर करने का ही प्रयास किया है। अनेकों बार लोकतंत्र पर अगर किसी पार्टी ने हमला किया है तो वह केवल कांग्रेस पार्टी के नेता ही है।
अनुच्छेद 356, जिसे राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है, तब लागू किया जाता है जब किसी राज्य की संवैधानिक रूप से कार्य करने की क्षमता समाप्त हो जाती है। यह केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकारों को बर्खास्त करने और राज्य विधानसभाओं को भंग करने की शक्ति प्रदान करता है। संविधान सभा ने इसे केवल अपवादस्वरूप परिस्थितियों में उपयोग किए जाने के लिए ही प्रस्तावित किया था। बी. आर. अंबेडकर ने कहा था, “मैं यह पूरी तरह नहीं नकारता कि इन अनुच्छेदों का दुरुपयोग या राजनीतिक उद्देश्य से प्रयोग किया जा सकता है… और मैं भी यह भावना रखता हूँ कि इन अनुच्छेदों को कभी लागून किया जाए और ये केवल कागज़ी नियम बनकर रह जाएं।”।लेकिन इसके विपरीत, कांग्रेस सरकारों ने इस अनुच्छेद का लगातार दुरुपयोग किया। गैर-कांग्रेसी सरकारों को हटाने और केंद्र की सत्ता को एक परिवार के अधीन केंद्रीकृत करने के लिए राष्ट्रपति शासन को बेधड़क इस्तेमाल किया गया। 1950 से अब तक, कांग्रेस के छह प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में राष्ट्रपति शासन 88 बार लगाया गया, जिसकी कुल अवधि 22,037 दिन रही।
यह कांग्रेस की रणनीति थी जिससे विपक्ष शासित राज्यों को अस्थिर किया जा सके और केंद्र में एकपरिवारवादी तानाशाही स्थापित की जा सके।