( धनेश गौतम ) हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग व ईको टूरिज्म कैसे बढ़ेगा जब बाहरी राज्यों से क्रेकटीविटी ही नहीं होगी। प्रदेश में न तो सड़कों की हालत ठीक है और न ही हवाई सेवा। यही नहीं रेल सेवा भी प्रदेश में नहीं है। प्रदेश का पर्यटन सिर्फ परिवहन से ही चला है लेकिन परिवहन की कंपोजिट पोलिसी का ही शंख बजा दिया गया हो तो ईको टूरिज्म को पंख किस तरह लगेंगे।
ईको टूरिज्म के राष्ट्रीय सेमिनार में मनाली में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस टूरिज्म को बढ़ावा देने की बड़ी-बड़ी बातें कही और पर्यटन प्रेमियों में खुशी की लहर भी दौड़ पड़ी। लेकिन चार दिन बाद ही शिमला में हुई कैबिनेट की बैठक में ईको टूरिज्म को बढ़ाना देने की इस योजना पर सरकार व अधिकारियों ने पानी फेर दिया। कैबिनेट की बैठक में परिवहन कंपोजिट पोलिसी में बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटक वाहनों पर भारी भरकम टैक्स लगाने का बिल पास हुआ।
पहले जहां बाहरी राज्यों से आने वाले बड़े पर्यटक वाहन दस हजार टैक्स में तीन बार हिमाचल टैक्स भरकर प्रवेश करते थे उन्हें अब इसकी ऐवज में 24 हजार टैक्स भरना पड़ेगा। इसी तरह सभी वाहनों के आने के टैक्स में वृद्धि की गई है। स्वभाविक है कि बॉल्वो, टैक्सियों व अन्य वाहनों में आने वाले पर्यटकों का किराया इस टैक्स बढऩे से बढ़ जाएगा। मजेदार बात यह है कि हिमाचल सरकार ने पिछले 10 वर्षों से टूरिस्ट बसों व टैक्सियों के परमिट वैन कर रखे हैं। प्रदेश सरकार के पास न तो अपने पास मजबूत परिवहन सेवा है और दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटक वाहनों पर भी भारी भरकम टैक्स लगाने से हम प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने की उम्मीदें कैसे लगा सकते हैं।
टूरिस्ट बसों व टैक्सियों के परमिट प्रदेश में प्रतिबंधित होने के कारण कुछ वाहन मालिकों ने दूसरे राज्यों में वाहनों का पंजीकरण करके हिमाचल को पर्यटकों के लाने का सिलसिला जारी रखा था लेकिन अब इन पर भी भारी टैक्स लगाया गया है और बाहरी राज्यों के जिन ट्रैवल एजेंसियों ने यहां के पर्यटन को पंख लगा रखे थे वे भी अब हिमाचल का विकल्प तलाश रहे हैं। प्रदेश सरकार के अपने परमिट बंद पड़े हैं और बाहर से आने वाले पर्यटक वाहनों पर टैक्स बढ़ा दिया है और बात प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने की हो रही है।
जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को बढ़ाने के लिए जहां हवाई टिकटों में भी रियायत हैं और परिवहन सेवा में भी किराया कम है वहीं, हिमाचल सरकार के पास पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक मात्र परिवहन सेवा पर भी बंदिशें लगाई जा रही हैं। कहां तो सरकार को प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कंपोजिट फीस कम करनी चाहिए थी लेकिन इससे अब नाकों पर भी भ्रष्टाचार बढऩे की संभावनाएं प्रबल हुई है। गौर रहे कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सोच हिमाचल के पर्यटन को बढ़ाने के लिए साकारात्मक हैं लेकिन अधिकारियों की मनमानी के कारण उनकी योजनाएं ठुस होने के कारण प्रदेश को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
मनाली में मुख्यमंत्री द्वारा ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जो भाषण दिया गया काबिले तारीफ था। मुख्यमंत्री की सोच है कि प्रदेश के सुंदर जंगलों में पर्यावरण मित्र लॉग हटस बनाए जाएं, परियोजनाओं के डैमों को सजाया जाए। ट्रैकिंग रूटों को विकसित किया जाए और पर्यटन खेलों को बढ़ावा दिया जाए लेकिन यह तभी संभव होगा जब बाहरी राज्यों से पर्यटक आएंगे। उधर, बॉल्वो यूनियन की प्रधान लाजवंती का कहना है कि इससे नाकों पर और भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
सरकार को पहले अपना सिस्टम ठीक करना होगा। कई ऐसे वाहन हैं जो बिना टैक्स दिए ही मिलीभगत से हिमाचल में प्रवेश करते हैं। वहीं, होटलियर्ज यूनियन के अध्यक्ष गजेंद्र ठाकुर का कहना है कि इससे प्रदेश के पर्यटन को बहुत बड़ा धक्का लगेगा। बाहरी राज्यों से पर्यटक आएंगे ही नहीं तो हमारा पर्यटन कैसे बढ़ेगा। इससे पर्यटकों के पैकेज बढ़ जाएंगे और पर्यटक हिमाचल आना पसंद नहीं करेगा। इस विषय में मंत्री से बात की जाएगी।
इससे पर्यटकों के पैकेज बढ़ेंगे और पर्यटक हिमाचल आना पसंद नहीं करेगा। बाहर से पर्यटक ही नहीं आएंगे तो हिमाचल का पर्यटन व्यवसाय कैसे बढ़ेगा । गजेंद्र ठाकुर प्रधान होटलियर्ज यूनियन मनाली