जो विधायक मुख्यमंत्री का साथ नहीं देंगे तो क्या उन्हें जेल में डाल देंगे
राजनीति कर रहे अधिकारी और विभाग अपनी सीमाएं न लांघे
आपदा में जिन्होंने अपने परिजन खोए और लाश नहीं पाए, उन्हें पुलिस हर दिन थाने पर बिठा रही है
कांगड़ा कार्निवल में पैसे के लिए पत्र जारी हुआ तो आधिकारिक खाता नंबर क्यों नहीं दिया गया
Khabron wala
शिमला: शिमला में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि देवभूमि में सियासत आपसी प्रतिरोध लेने के लिए नहीं विकास करने के लिए ही होती रही है। लेकिन मुख्यमंत्री विकास की भावना के बजाय बदले की भावना से कम कर रहे हैं। उनका साथ छोड़ चुके कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को हर हाल में सत्ता के दम पर प्रताड़ित करना चाहते हैं। उन्हें मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि वह जिस राह पर चल रहे हैं न तो वह काम अच्छा है और न ही उसका अंजाम अच्छा होगा। सत्ता के दुरुपयोग से वह भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को आज भले कुछ पल के लिए परेशान कर ले लेकिन सत्ता स्थाई नहीं है। उन्हें यह बात समझनी होगी। यह बात उन अधिकारियों को समझनी बहुत जरूरी है जो आज कानून-कायदे ताक पर रखकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और सरकार के पक्ष में न लिखने वाले पत्रकारों को मुकदमे में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का साथ छोड़ चुके सभी पूर्व कांग्रेसी और निर्दलीय विधायकों को मुख्यमंत्री बदले की भावना से प्रताड़ित कर रहे हैं। हमीरपुर के विधायक के खिलाफ खनन का मामला पुलिस पार्टी बनकर दर्ज करवाती है जबकि माइनिंग विभाग इसकी कोई भी शिकायत तक नहीं करता। शिकायत भी उसे अधिकारी द्वारा की जाती है इसके खिलाफ विधायक ने विधानसभा में आरोप लगाए हैं और डीजीपी से उसके खिलाफ शिकायत की है। 10 दिन से लगातार हमारे विधायक को बुलाकर थाने में दिन-दिन भर बिठाकर प्रताड़ित जा रहा है। जिन अपराधों का कोई लेना-देना नहीं उससे जुड़ी धाराएं लगाई जा रही है। जिससे जमानत न मिल सके। पूरी की पूरी वकीलों की फौज हमारे विधायकों के खिलाफ उतारी जा रही है। इल्लीगल माइनिंग के मामले में कार्रवाई माइनिंग डिपार्टमेंट करता है। कोई भी शिकायत भी माइनिंग डिपार्टमेंट ही करता है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के विधायक के मामले में पुलिस ही पार्टी बनी हुई है। आशीष शर्मा को हर हाल में जेल भेजने की कोशिश की जा रही है। मामला सिर्फ हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा का ही नहीं बाकी अन्य आठ विधायकों का भी है जिन्होंने इस निकम्मी सरकार का सहयोग करने से इनकार कर दिया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केएल ठाकुर और उनके परिवार के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से एक के बाद एक मामले लादने की कोशिश हुई। उनका क्रशर बंद कराया गया, जो हाई कोर्ट के आदेश के बाद फिर से शुरू हुआ है। इसके बाद भी रोज दो पुलिस वाले सरकार भेज देती है। राजेंद्र राणा और उनके परिवार के खिलाफ लोगों को खोज-खोज कर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए जा रहे हैं। इंद्र दत्त लखनपाल के खिलाफ मुख्यमंत्री हर दिन साजिश कर रहे हैं। अपनी पद की गरिमा के विपरीत आचरण कर रहे हैं। कांग्रेस में पहले मंत्री रहे सुधीर शर्मा को फंसाने के लिए मुख्यमंत्री ने सारी सीमाएं लांघ दी है। उनके घर की नाप जोख में कुछ न मिलने के बाद उनके घर का मूल्यांकन करने का आदेश लोक निर्माण विभाग दिया जा चुका है। गगरेट से विधायक रहे चैतन्य शर्मा और उनके पिता के खिलाफ मुकदमे लादे गए। उन्हें बुलाकर अनावश्यक पूछताछ के नाम पर घंटों थाने पर बैठाया जाता है। देवेंद्र भुट्टो के घर को गिराने को लेकर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन द्वारा साजिश की गई। सारा निर्माण विधिक प्रक्रिया से होने के बाद भी उन्हें नोटिस दिए गए। रवि ठाकुर के खिलाफ सरकार पहले दिन से ही हो गई। उनके खिलाफ कंप्लेंट करने के लिए लोगों को उकसाया जा रहा है। जिस दिन उन्होंने राज्य सभा में भाजपा प्रत्याशी का साथ दिया उसी दिन वन विभाग द्वारा मनाली स्थित उनके घर का रास्ता बंद कर दिया गया था। पूरे परिवार को हर प्रकार से प्रताड़ित किया गया। सिरमौर में हमारे प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल और पूर्व मंत्रियों पोंटा साहिब से विधायक सुखराम चौधरी के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया। देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। भाजपा शिमला के जिला अध्यक्ष और उनके परिवार के ऊपर दर्जनों की संख्या में केस ठोके गए हैं। अवैध मस्जिद का विरोध करने पर हमारे पार्टी के विभिन्न पदाधिकारी और अन्य 166 लोगों पर भी मुकदमे लादे गए हैं। उन्होंने कहा कि बदले की भावना के साथ की गई कार्रवाई का परिणाम न पहले अच्छा हुआ है ना आगे अच्छा होगा। यह न प्रदेश की संस्कृति है और न ही हिमाचल के लोगों की प्रवृत्ति। इसलिए पर रोक लगाई जानी चाहिए।
कार्निवल के नाम पर वसूली तो खाता नम्बर क्यों नहीं किया जारी
पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांगड़ा कार्निवल में वसूली के लिए सरकार द्वारा पत्र निकाला गया है। सरकारी कार्यक्रमों का खर्च प्रदेश के लोग क्यों उठाएं? इस तरह से पहले कभी नहीं हुआ है कि सरकार द्वारा पत्र जारी किया गया है? यह सरकार द्वारा अधिसूचित कार्यक्रम है। यदि पत्र जारी ही किया जाना था तो वह डीसी द्वारा क्यों नहीं जारी किया गया?पत्र में अकाउंट नंबर क्यों नहीं दिया गया है? क्या यह कैश वसूली का प्रयास है? अगर लोग दान ही रहे हैं तो कम से कम उन्हें आयकर की विभिन्न धाराओं के तहत आयकर में छूट तो मिल सके।
प्रदेश में इस तरीके के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में फर्जी बिल वाउचर छापने और उससे भारी संख्या में उगाही के आरोप पहले भी कांग्रेस के कुछ नेताओं पर लग चुके हैं। कहीं इस तरीके से डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफीसर द्वारा पत्र जारी करवा कर दबाव बनाना और इस तरीके से वसूली करने की यह पुनरावृत्ति तो नहीं है?
आईपीआर अराजकता पर बोले डॉन्ट क्रॉस द लिमिट
जयराम ठाकुर राजनीति और बदले की भावना से काम करके सरकार का मन नहीं भरा तो उन्होंने विभागों को भी भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार करने हेतु लगा दिया। उन्होंने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उसे पोस्ट का भी जिक्र किया जिसमें उसने भाजपा के चुनाव चिन्ह को उल्टा करके लगाया था और बेहद निचले स्तर की टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि जब दो साल बाद आप की सरकार नहीं होगी तब आपका क्या होगा इस बारे में भी सोचिए। ऐसे अधिकारियों को सरकार के साथ अपना भविष्य नहीं जोड़ना चाहिए। सभी को सीधे शब्दों में एक सलाह है कि डॉन्ट क्रॉस द लिमिट।
तीन साल का कार्यकाल का मंच आपसी कलह का मंच बना
पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के सवाल के जवाब में जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा राहत के पैसे से मनाए जा रहे जश्न में मुख्यमंत्री ने अंदर और बाहर के लोगों से लड़ने का ऐलान किया और सबको देख लेने की धमकी दी तो उप मुख्यमंत्री ने ऐसे काम नहीं चलने का हवाला दिय और सबको अंधेरे में निपटाने की हिदायत भी दे डाली। उन्हें पता होना चाहिए कि अधिकारी रात के अंधेरे में नहीं दिन के उजाले में मिलते हैं। आपदा में जिनके परिजनों और नातेदारों की लाश नहीं मिली उनके ख़िलाफ़ मामले दर्ज हुए। एक मंत्री ने वह मामले दर्जकरवा। आज भी 52 लोग थाने में बैठाए गए हैं। एडिशनल लिस्ट बनाई जा रही है। पुलिस कहती है कुछ लोग छूट गए थे। उनकी शिनाख्त पुलिस नहीं कांग्रेस का एक नेता कर रहा है।
बंजार और धर्मपुर में हुई अवैध कटान के मामले में क्यों चुप्पी साधे है सरकार
जयराम ठाकुर ने सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा के विधायक सुरेंद्र शौरी ने बंजार में अवैध कटान का मामला उठाया था। वहां सैकड़ों हरे पेड़ काटे गए, लेकिन मुक़दमा नहीं दर्ज हुआ। बंजार में 14 करोड़ का मलबा उठाने का बिल पास हुआ था। मामला विधान सभा में उठाया गया। मुख्यमंत्री द्वारा सदन में विजिलेंस इंक्वायरी करवाने का आश्वासन दिया गया। आज तक कार्रवाई नहीं हुई। मंडी मंडल धर्मपुर में हजारों पेड़ काट कर लकड़ी डंप कर दी गई। जांच में एक कांग्रेसी नेता के पत्नी और परिजनों का नाम आया। जांच के शुरू होने के पहले ही लकड़ी खड्ड में फेंक दी गई? आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि मामला सत्ता समर्थित नेता का था। प्रदेश में ऊना, सिरमौर हमीरपुर और कांगड़ा में अवैध खनन के इतने मामले सामने आ रहे हैं। जिससे पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बर्बाद हो रहा है। सड़क–पुल खतरे में आ रहे हैं, नदियों का प्राकृतिक बहाव बदल रहा है। वहां पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय कार्रवाई करने वाली पुलिस पर ही कार्रवाई की जा रही है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को प्रतिशोध की भावना के तहत फसाया जा रहा है।












