दवाइयों के उत्पादन पर हाई कोर्ट सख्त, दवा कंपनी मालिक की जमानत याचिका रद्द

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में नकली दवा बनाने वाली कंपनी के मालिक की जमानत याचिका रद्द कर दी। न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारी मात्रा में घटिया/नकली दवाओं की बरामदगी अपराध की गंभीरता को बयां करती है और अगर प्रार्थी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा कि ऐसा अपराध करने के बाद भी आवेदक समाज में खुलेआम घूम रहा है। कोर्ट ने जमानत याचिका रद्द करने का एक और कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि नकली दवाओं का उन लोगों पर प्रभाव, जो आशा और विश्वास में उनका सेवन करते थे, को अभी की परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सरकारी विश्लेषक, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला चंडीगढ़ की रिपोर्ट भी अपराध की गंभीरता के बारे में बहुत कुछ कहती है।

You may also likePosts

कोर्ट ने कहा कि आवेदक को जमानत पर रिहा करने से अन्य दवा निर्माताओं को भी आसान पैसा कमाने के लिए घटिया/नकली दवाएं बनाने /विपणन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। मामले के अनुसार प्रार्थी अवेंद्र शुक्ला ने उसे ड्रग्स इंस्पेक्टर बद्दी द्वारा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की विभिन्न धाराओं के तहत पंजीकृत मामले में जमानत पर रिहा करने के लिए जमानत याचिका दायर की थी। उस छह अक्तूबर, 2023 को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी के अनुसार 27 जनवरी, 2023 को लाइसेंस की समाप्ति के बावजूद बद्दी मेसर्स ग्लेनमार्स हेल्थकेयर एलोपैथिक दवाओं का कारोबार कर रही थी और प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, बरामद दवाएं घटिया/ नकली गुणवत्ता की पाई गईं। जांच एजेंसी ने कथिततौर पर पाया कि मेसर्स ग्लेनमार्स हेल्थकेयर से बरामद दवाएं नकली प्रकृति की हैं और प्रार्थी फर्जी फर्म के नाम से नकली और घटिया दवाओं के निर्माण में लिप्त हैं।

Related Posts

Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!