जयराम ठाकुर ने कांग्रेस आला कमान से आग्रह किया कि वह सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों में न पड़कर
जमीनी हकीकत भी पता लगाएं। वह सरकार से पूछे कि प्रदेश में हिम केयर के तहत लोगों को इलाज क्यों नहीं मिल रहा है? लोग इलाज के लिए क्यों भटक रहे हैं? सरकार हिम केयर का पैसा क्यों नहीं जमा कर रही है? सरकार आपदा प्रभावितों को फौरी राहत तक क्यों नहीं दे पाई है? पूरे देश में संविधान बचाओ यात्रा चलाने वाली कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में नगर निगम और पंचायत चुनाव को टालकर हिमाचल प्रदेश के लोगों की संवैधानिक हकों को क्यों छीन रही है? कांग्रेस आला कमान को सरकार से यह भी पूछ कर प्रदेशवासियों को बताना चाहिए कि आज प्रदेश भर के पेंशनर सड़कों पर आने को क्यों लामबंद है? वह कौन सा गैर वाज़िब हक मांग रहे हैं? उन्हें उनके मेडिकल बिल और एरियर का भुगतान क्यों नहीं हो रहा है? हिमाचल प्रदेश में मित्रों के अलावा पूरा प्रदेश त्रस्त क्यों है?
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस आला कमान प्रदेश वासियों को यह भी बताएं कि हिमाचल प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार को मित्रों की सरकार क्यों कह रही है? प्रदेश में विकास के बजाय पीछे क्यों जा रहा है? पूरी सरकार ही कार्यवाहक ब्यूरोक्रेसी के भरोसे क्यों चल रही है? पूरी सरकार झूठ की वैसाखियों पर क्यों टिकी है? हिमाचल प्रदेश की सरकार के साथ ही साथ कांग्रेस वाला कमान को भी हिमाचल के साथ हुए इस छल का जवाब देना पड़ेगा।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि लोगों की सेवा के लिए, के विकास के लिए मंदिरों में जाकर कसमें खाने की जरूरत नहीं होती है। झूठी गारंटियां देने की जरूरत नहीं होती है। पांच साल हमने भी सरकार चलाई। हमने प्रदेश वासियों को गृहिणी सुविधा योजना, 125 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को बसों में आधा किराया, ग्रामीण क्षेत्रों में फ्री पानी, हिम केयर, सहारा योजना, शगुन योजना, प्रदेश की हर महिला को 60 साल से अधिक की उम्र के बाद बिना किसी आय सीमा के वृद्धा पेंशन देना, स्वावलंबन योजना, बेटी है अनमोल योजना, कन्यादान योजना जैसी जनहित की तमाम योजनाओं की कोई गारंटी नहीं दी थी। प्रदेशवासियों के लिए जो जरूरी था वो किया। पिछली सरकार पर कोई दोष नहीं मढ़ा। हमने कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी का सामना किया। जब पूरी दुनिया में बड़ी-बड़ी सरकारों ने हाथ खड़े कर दिए, बड़ी सी बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को बिना नोटिस के नौकरी से निकाल दिया। उस समय भी हमने नए कर्मचारियों की भर्ती की, एक भी कर्मचारी के एक दिन का भी वेतन नहीं काटा। इस सरकार ने कोविद के समय में अपनी जान की परवाह न किए बिना लोगों की मदद करने वाले लोगों को भी एक झटके में बेरोजगार कर दिया। सरकार अच्छी नीयत से चलती है गारंटियों से नहीं। दुर्भाग्य इस बात का है की सरकार की नीयत में ही खोट है।