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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से एक बड़ा साइबर क्राइम का मामला सामने आया है, जिसमें एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी ठगी का शिकार हो गए। ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट के नाम पर करीब 88.50 लाख रुपये गंवा दिए। बैंक में चीफ मैनेजर रह चुके पीड़ित ने साइबर पुलिस थाना शिमला में शिकायत दर्ज करवाई है।
ऐसे किया गुमराह
जानकारी के अनुसार, साइबर अपराधियों ने खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताते हुए पीड़ित से संपर्क किया और उन पर कस्टम विभाग में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगने की बात कही
शातिरों ने यहां तक कहा कि उनके बैंक खाते और सिम का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों में हुआ है। इसके बाद पीड़ित को वीडियो कॉल पर एक फर्जी ऑनलाइन कोर्ट की सुनवाई भी दिखाई गई, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि मामला गंभीर है।
ठगों ने दिलाया भरोसा
ठगों ने पीड़ित को यह कहकर धमकाया कि वह “डिजिटल अरेस्ट” में हैं और अगले तीन दिन तक किसी से बात नहीं कर सकते। इस दौरान लगातार दबाव डालते हुए उनसे कहा गया कि मामले की जांच और वेरिफिकेशन के लिए बैंक खाते से रकम ट्रांसफर करनी होगी। ठगों ने भरोसा दिलाया कि पैसे प्रक्रिया पूरी होने के बाद वापस कर दिए जाएंगे।
भरोसे में आकर पीड़ित ने 88.50 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए। साइबर पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ठगों ने रकम बंगलुरु और पंजाब के जालंधर स्थित बैंक खातों में डलवाई। इसके बाद उन्होंने रकम को चेक और एटीएम के माध्यम से कई खातों में ट्रांसफर करते हुए नौ स्तरों से निकाल लिया, ताकि उसका पता न चल सके।
डीआईजी साइबर क्राइम बोले
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने डीएसपी विपिन के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। डीआईजी साइबर क्राइम मोहित चावला ने बताया कि शिकायत के आधार पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है और जांच तेज कर दी गई है।