( जसवीर सिंह हंस ) सिरमौर के माजरा में जानलेवा हमले से जुड़े मामले के 9 आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डॉक्टरों को पढ़ने योग्य भाषा में एम एल सी लिखनी चाहिए साथ ही न्यायालय ने निदेशक (स्वास्थ्य) को आदेश दिए कि वह डॉक्टरों को निर्देश जारी कर बताएं कि आपराधिक मामलों में चिकित्सा कानूनी मामलों (एमएलसी) में टिप्पणियों, निष्कर्षों और राय पर तैयार दस्तावेज को पढ़ने योग्य भाषा में लिखें, ताकि न्यायालय के साथ-साथ अन्य जिन्हें एमएलसी (MLC) को समझने की जरूरत है, उसे आसानी से समझ सके।
कोर्ट ने मामलों की सुनवाई के दौरान पेश की एमएलसी का अवलोकन करते हुए पाया कि एमएलसी ना केवल अदालत बल्कि एडवोकेट जनरल व पुलिस अधिकारियों की समझ से भी परे है । क्योंकि गुलाबगढ़ हमले के मामले में जब कोर्ट ने डॉक्टर की एमएलसी को रिकॉर्ड पर देखना चाहा तो डॉक्टर की राइटिंग ना सिर्फ माननीय जज साहब के समझ नहीं आई जब उन्होंने एडवोकेट जनरल व मौके पर उपस्थित एसएचओ भी उसको समझने में असमर्थ थे जिसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिए कि स्पष्ट एमएलसी पेश की जाए जिसके बाद टाइप की हुई एमएलसी कोर्ट में पेश की गई तथा कोर्ट इन को समझने तथा पढ़ने में सफल हुआ जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर कड़ा संज्ञान लिया |