पूरे देश में किसानों के नाम पर शोर करने वाली कांग्रेस ने बढ़ाया पाँच गुना बिजली का बिल

अब बिजली के बिल से प्रदेश के किसानो को भी झटके दे रही है शुल्क की सरकार : जयराम ठाकुर

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शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि किसानों के द्वारा सिंचाई के लिए लिए गए बिजली कनेक्शन के बिल चौंकाने वाले हैं। यह मुद्दा सरकार के ध्यान में लाने के बाद भी सरकार कोई सक्रियता नहीं दिखा रही है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। किसानों को पहले जहां खेतों की सिंचाई के लिए 500 यूनिट बिजली खर्च करने पर 300 रूपए का बिल आता था, सुक्खू सरकार की नई व्यवस्था में अब पांच सौ यूनिट बिजली खर्च करने पर 2800 रुपए के लगभग बिजली का बिल आ रहा है।  देश के अन्नदाताओं के साथ इस तरह अन्याय सहन नहीं होगा। बिजली के बिलों में कई-कई गुना बढ़ोतरी जायज़ नहीं है। सरकार इस समस्या की तरह ध्यान दे। किसानों के साथ इस तरह की वसूली पर रोक लगाए। किसान सरकार की मनमानी वसूली के साथ कैसे चल पाएगा?  यह देश के अन्न दाताओं के साथ अराजकता है। भारतीय जानता पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है। सरकार इस विरोध पर आँख मूँद कर नहीं बैठे रहे सकती है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अगर दूध के दाम दो रुपए बढ़ाने की घोषण भी करती है तो भी प्रदेश के गली-नुक्कड़-चौराहे, बसें, सब पोस्टर और होर्डिंग्स से भर देती है। लेकिन बिजली के बिल पाँच से सात गुना बढ़ाने पर सरकार खामोश बैठी है। किसानों द्वारा विरोध किए जाने, विपक्ष द्वारा अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के निवेदन पर भी कुछ नहीं बोल रही है। क्या इन्ही चुनावी गारंटियों के दम पर कांग्रेस हिमाचल की सत्ता में आई थी? आज कांग्रेसनीत सुक्खू सरकार बिजली के दाम में जमकर वृद्धि कर रही है लेकिन विधान सभा के चुनाव के समय में कांग्रेस के छोटे से लेकर बड़े नेताओं ने प्रदेश भर में चीख-चीख कर कहा था कि हमारी सरकार आने के बाद 300 यूनिट बिजली फ्री मिलेगी। कांग्रेस की दस झूठी गारंटियों में यह भी एक गारंटी थी। लेकिन बिजली फ्री देने की बात तो दूर कांग्रेस सुख की सरकार ने बिजली के दामों में कई गुना वृद्धि कर दी। बाक़ी गारंटियाँ तो  सरकार भूल ही गई है।

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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने शुल्क लगाने में गरीबों और किसानों को भी नहीं बख्शा। यह रवैया चलने वाला नहीं हैं। देश भर के किसानों को सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली बिजली के बिल में सब्सिडी मिलती है। हिमाचल में भी यह सब्सिडी पहले से मिलती आई है। इसलिए मुख्यमंत्री को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए। जनहित के मुद्दों को सरकार जिस तरह से अनदेखा कर रही है वह प्रदेश के लिए बहुत घातक है। सरकार इस तरह से प्रदेश के लोगों के साथ मनमानी नहीं कर सकती है।

शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुक्खू सरकार शुल्क की सरकार हो गई है और प्रदेशवासियों को लगातार किसी न किसी तरह के शुल्क के झटके दे रही है। व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार किसानों को भी बिजली के बिल के झटके दे रही है। सरकार किसानों द्वारा सिंचाई के लिए गए बिजली कनेक्शन के बिजली बिल अब पाँच से छह गुना बढ़ाकर वसूल रही है। यह प्रदेश सरकार की गरीब किसानों के साथ ज्यादती है। खेतों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले बिजली के बिल में इस प्रकार की वृद्धि लोगों समझ के परे है। किसानो को बिजली के बिल में इतनी वृद्धि पर भरोसा ही नहीं हो रहा है और लोग बिजली घरों के चक्कर लगा रहे हैं।  यह किसानों के साथ अन्याय है। पूरे देश में कांग्रेस किसान के नाम पर शोर डालती है और हिमाचल में किसानों के सिंचाई के बिल को पाँच गुना बढ़ा देती है। क्या मुख्यमंत्री सिर्फ़ अपने हवा हवाई वादों में ही किसानों का हितैषी होने का दावा करते हैं? पूरे देश में कांग्रेस किसान के नाम पर झूठ फैलाए और जहाँ अपनी सरकार है वहाँ के किसानों से सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली के दाम पाँच गुना बढ़ा दे। किसानों के साथ सरकार की यह मनमानी नहीं चलेगी।

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर से मुझे कई किसान परिवारों के फोन आ रहे हैं। सब बिजली के बढ़े हुए बिल को लेकर अपनी बात कर रहे हैं। लोग अपने बिजली के पुराने और नए बिलों को भेजकर बता रहे हैं कि किस तरह से उन्हें पिछले महीनें के मुकाबले पाँच गुना से ज़्यादा का बिल मिला है। उन्होंने कहा कि ऊना के कुछ किसानों द्वारा भेजे गए बिजली बिल को मैंने देखा जिसमें एक मार्च से एक अप्रैल के बीच 605 यूनिट बिजली खर्च हुई थी और उनका बिजली बिल 669 रूपए का था, जिसमें 370 रुपए सरकार द्वारा लगाए गए सेस के भी शामिल थे। उसी किसान द्वारा मई माह में 591 यूनिट बिजली का उपयोग अपने खेतों की सिंचाई के लिए करने पर बिजली का बिल 3445 रुपए का बिलजी बोल थमाया गया है। जिसमे 356 रुपए सेस के भी शामिल हैं। ऐसा सिर्फ एक किसान के साथ नहीं है। कई किसानों के बिजली बिल इसी प्रकार कई-कई गुना बढ़ कर आए हैं। यह प्रदेश के किसानों के साथ अन्याय है। सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर लोगों से इस तरह की वसूली नहीं कर सकती है। सरकार किसानों को राहत देने के बजाय उन्हें बिजली के झटके क्यों दे रही है। इस तरह से बिजली के दामों की वृद्धि किसानों की कमर तोड़ देगी, सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करे और किसानों को राहत प्रदान करे।

जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार एक ‘वेलफेयर स्टेट’ के रूप में काम ही नहीं करना चाहती है। सरकार जितनी जिम्मेदारी से प्रदेश के लोगों पर टैक्स लाद रही है और शुल्क लगा रही है, काश उसी तरह से लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखती तो बेहतर था। एक दिन सरकार छुट्टे का बहाना बनाकर बसों का मिनिमम किराया पाँच रुपए से बढ़ाकर दस रुपए कर देती है तो कभी लंबी दूरी की बसों का 15 फ़ीसदी से ज़्यादा किराया बढ़ा देती है। कभी आउट सोर्स को नौकरी से निकाल देती है तो कभी बेरोजगारों की आवाज़ दबाने की कोशिश करती है, कभी कर्मचारियों को मुकदमे के जोर पर डराती है। इसके साथ ही प्रदेश के लोगों से हिम केयर से होने वाले इलाज की सुविधा छीन लेती है। शगुन, सहारा, स्वावलंबन जैसी योजनाए बंद करती है। प्रदेश सरकार का किसानों के साथ किया जा रहा है यह बर्ताव ग़लत है और सरकार तानाशाही की बजाय मानवीय दृष्टि से विचार करे।

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