पांवटा साहिब : पत्रकार को बंधक बनाकर बनाया वीडियो, प्रतिद्वंद्वी कांग्रेसी नेताओं को करवाया बदनाम,पढ़िए विडियो वायरल का सच

पांवटा साहिब में पूर्व विधायक किरनेश जंग ओर उसके गुर्गो का गुंडाराज इस कदर बढ़ गया है कि पहले एक पत्रकार का अपहरण किया जाता है उसके बाद मारपीट कर उसका विडियो वायरल कर दिया जाता है। और इस पूरे मामले में पुलिस मौन होकर तमाशा देख रही है।

पत्रकार जसबीर सिंह ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि शनिवार शाम के समय जब वह शमशेरपूर मे अपने घर के पास सैर कर रहे थे उस वक्त उन्हें जोर-जबरदस्ती कर गाड़ी में डाला गया और भाटावाली स्थित क्रेशर पर ले जाया गया। उसके बाद आठ-दस गुंडों ने डराया धमकाया और मारपीट भी की गई।

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इतना ही नहीं जान से मारने की धमकी दी जाती है गुंडों से घिरे पत्रकार को बंधक बनाकर फर्जी मजदूर नेता प्रदीप चौहान द्वारा एक विडियो बनाई जाती है इस विडियो में जबरदस्ती पत्रकार के मुंह से शहर के दो कांग्रेसी नेताओं के नाम बुलवाए जाते हैं उन्हें बदनाम किया जाता है और फर्जी मिडिया कर्मियों को विडियो भेज कर वायरल करवाई जाती है। इस विडियो में कट पेस्ट कर फर्जी मिडिया कर्मियों ने कांग्रेस आकाओं द्वारा निर्देशों पर आंखें बंद कर काम किया और विडियो वायरल कर दी। ये जाने बिना की विडियो किन हालात में बनाई गई है इसको सोच समझ कर वायरल कर दिया गया। वहीं पूर्व विधायक  का पुत्र भी इस वीडियो को वायरल करने के लिए अपने गुरु को निर्देश दे रहा है

हैरत इस बात की है इस विडियो को मौके पर बनाने वाले फर्जी मजदूर नेता प्रदीप चौहान की नाम जद शिकायत पुलिस को सौंपीं गई है। फर्जी मजदूर नेता प्रदीप चौहान ने क्रेशर में बंधक पत्रकार की वीडियो बनाई वह अब स्थानीय अधिकारियों से मिलकर पत्रकारों को देख लेने की धमकियां दे रहा है।

वहीं किसी भी व्यक्ति की जबरन विडियो बना कर वायरल करना आईटी एक्ट में एक बड़ा अपराध है किसी भी व्यक्ति की निजता का हनन है जिसके लिए विडियो बनाने वाला और बिना सत्यता को जाने वायरल करने वाला भी इसमें बराबर के दोषी हैं।

वहीं दूसरी ओर सिरमौर के आला अधिकारियो ओर पांवटा पुलिस अधिकारियों पर मामला हल्की धाराओं के साथ दर्ज करने का दबाव बनाया गया है ओर इस वारदात को अंजाम देने में मुख्य आरोपी जसवंत सिंह ठक्कर से एक झूठी शिकायत लेकर झूठा मामला दर्ज कर दबाव बनाया जा रहा है डीएसपी पहुंच को मिलकर शिकायतकर्ता द्वारा सारी कार्रवाई के विषय में बताने के बावजूद वह यही बोलती रही है कि हम तो क्रास एफआईआर दर्ज करेंगे क्योंकि पुलिस अधिकारियों का यही मकसद है कि क्रॉस एफ आई आर दर्ज कर शिकायतकर्ता और पीड़ित के ऊपर दबाव बनाया जा सके

वहीं कुछ लोगों द्वारा फैसले को लेकर भी दबाव बनाया जा रहा है जबकि पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य है बावजूद इसके पुलिस अपना काम निष्पक्ष होकर नहीं कर रही है। इस मामले में पुलिस के हाथ अहम सबूत लगे हैं। पुलिस ने मौका से एक वारदात पर सीसीटीवी फुटेज भी निकाली हैं।

बताया जा रहा है कि पत्रकार द्वारा यमुना नदी में पाइप लाइन डालकर बनाए गए अवैध रास्ते की खबर प्रकाशित की थी जिसमें एक भ्रष्ट माइनिंग इंस्पेक्टर ने पुलिस को साथ ले जाकर वहां पर केवल छोटी-मोटी कार्रवाई कर क्रशर पर तेनात को बोला कि हमने तो पत्रकार की खबर के बाद कार्रवाई की है तुम पत्रकार को देख लो जिसके बाद पत्रकार का अपहरण कर भाटावाली स्थित क्रेशर पर ले जाया गया जहां पर पहले उसके साथ मारपीट की गई और फिर जान से मारने की धमकी देकर एक विडियो बनाई गई जिसमें शहर के बड़े दो कांग्रेसी नेताओं के नाम बुलवाए गए। वहीं इस विडियो से अपराध की सारी कलई खुल कर सामने आ गई है। विनाश काले विपरीत बुद्धि जिस विडियो की पुलिस तलाश कर रही थी वो भी आरोपियों ने खुद सामने लाकर अपनी कब्र खोद ली है।

उधर इस पूरे मामले में पुलिस पर बड़ी धाराओ मे एफ आई आर नहीं दर्ज करने का भारी दबाव है पुलिस अपहरण की धारा भी ना लिखने की बात कर रही है जबकि मेडिकल में पत्रकार को चोटों के निशान आए हैं, पुलिस खुद क्रेशर से पत्रकार को छुड़ाकर लाई है और पत्रकार द्वारा दी गई शिकायत में नाम जद आरोपियों का और वीडियो का पहले ही खुलासा कर दिया गया था।अब देखना यह है कि कांग्रेस की सुक्खू सरकार में उनके ही नेताओं की गुंडागर्दी किस हद तक जाती है और वह इस पर कब विराम लगाते हैं। अब शिकायत कर्ता द्वारा हाई कोर्ट जाने की तेयारी कर ली गई है

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