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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दुष्कर्म से जुड़े मामले में एक अहम टिप्पणी की है. अदालत ने कहा है कि इस बात में कोई संदेह नहीं कि दुष्कर्म पीड़िता को बहुत अपमान का सामना करना पड़ता है, लेकिन ये भी तथ्य है कि दुष्कर्म का झूठा आरोप भी किसी व्यक्ति को अपमानित करता है और उसे नुकसान पहुंचाता है.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी के भी अधिकार होते हैं. अदालत ने कहा कि उन अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए. साथ ही कहा कि झूठे आरोप की संभावना को खारिज किया जाना चाहिए. इन टिप्पणियों के साथ ही खंडपीठ ने कथित रूप से एक पीड़िता की तरफ से दाखिल की गई अपील को खारिज कर दिया.
खंडपीठ ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि यहां एक ऐसा मामला है, जिसमें पीड़ित महिला ने अपने बयान में धीरे-धीरे सुधार या बदलाव किया है. ऐसे में यह तय करना मुश्किल है कि उसका कौन सा बयान विश्वसनीय और भरोसे के लायक है. ऐसा लगता है कि पीड़िता ने केवल बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश की है और इस प्रयास में वह सच्चाई से भटक गई.
खंडपीठ ने पीड़िता की गवाही का सावधानी से विश्लेषण करने पर उसके बयानों में विरोधाभास और विसंगतियां पाई. अदालत ने अन्य गवाहों के बयान और प्रमुख अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश गवाहों के बयानों को विरोधाभासों से भरा पाया. इस प्रकार खंडपीठ ने मामले में लोअर कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कथित पीड़िता की अपील को खारिज कर दिया.
ऊना की रहने वाली पीड़िता ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की तरफ से 25 अप्रैल 2014 के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. लोअर कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी दो अभियुक्तों को बरी कर दिया था. इन पर बीएनएस की धारा 376 और 506 के तहत आरोप थे. मामले के अनुसार 24 अप्रैल 2013 को पुलिस स्टेशन बंगाणा को एसपी ऊना ऑफिस के जरिए एक महिला की शिकायत मिली थी. शिकायत में महिला ने अपने साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया था. कथित पीड़िता का कहना था कि नवंबर 2012 को करवा चौथ की पूर्व संध्या पर सीमा देवी नामक महिला ने उसे अपने घर बुलाया. पीड़िता अपने बच्चों के साथ सीमा देवी के घर गई और उसके आग्रह पर रात को वहीं रुक गई.
शिकायत में लिखा गया कि वह मेजबान सीमा देवी और उसके दो बच्चों के साथ रसोई में सो गई. पीड़िता ने शिकायत में बताया कि रात करीब 10 बजे आरोपी ज्ञान चंद रसोई में घुस आया और उसके आने पर सीमा देवी बाहर चली गई. बाहर जाते समय सीमा ने दरवाजा भी बंद कर दिया. पीड़िता के अनुसार आरोपी ज्ञान चंद ने उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा कि सीमा देवी और ज्ञान चंद ने मिलकर उसका यौन शोषण करने की साजिश रची थी.
हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
शिकायत में लिखा गया था कि वह डर और अपनी मानसिक स्थिति के कारण ज्ञान चंद की हरकत के बारे में किसी को नहीं बता पाई. बाद में उसने अप्रैल 2013 यानी घटना के चार माह बाद अपने पति और बहन को पूरी कहानी सुनाई. फिर 19 अप्रैल को पीड़िता अपने पति के साथ पुलिस स्टेशन गई और एसएचओ बंगाणा को एक शिकायत दी. उसके बाद पीड़िता अपने पति के साथ 24 अप्रैल को एसपी ऑफिस ऊना आई और एसपी के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने आरोपी ज्ञान चंद और सीमा देवी को गिरफ्तार कर लिया. जांच के बाद पुलिस ने निचली अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत किया. निचली अदालत ने आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया और धारा 376 और 506 आईपीसी के तहत आरोप तय किए. अभियोजन पक्ष ने अपना मामला साबित करने के लिए पंद्रह गवाह पेश किए. बाद में लोअर कोर्ट ने 25 अप्रैल 2014 को आरोपियों को बरी कर दिया. इस फैसले के खिलाफ पीड़िता ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने मामले में अहम टिप्पणी करते हुए अपील को खारिज कर दिया.