पांवटा साहिब : नियमों को ताक पर रख किराए के लाइसेंस व बिना फार्मासिस्ट के चला रहे मेडिकल स्टोर

 

 

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नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगह मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट के ही संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी भनक है, लेकिन कार्रवाई नहीं कर रहा है। नगर सहित ग्रामीण इलाके में दर्जन भर से अधिक मेडिकल स्टोर्स हैं। कहने को तो मेडिकल स्टोर्स के संचालन के लिए डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट के आधार पर लाइसेंस जारी किए जाते हैं, लेकिन हकीकत इससे परे है। नगर के कुछ मेडिकल व्यवसायी नियमों को ताक में रखते हुए मेडिकल का संचालन कर रहे हैं। बिना फार्मासिस्ट व जरूरी दस्तावेज के मेडिकल दुकान का व्यवसाय किया जा रहा है। कई मेडिकलों में अपात्र व्यक्तियों को जिम्मेदारी दे दी गई है, जिनको दवाइयों की जानकारी तक नहीं है। इन मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ न तो ड्रग इंस्पेक्टर कोई कार्रवाई करते हैं और ना ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी। गैर डिप्लोमा, डिग्रीधारी द्वारा मेडिकलों का संचालन करने से मरीजों की जान को खतरा रहता है।

दूसरे के नाम के सर्टिफिकेट का उपयोग : नगर के कुछ मेडिकल दूसरे के नाम के सर्टिफिकेट पर लाइसेंस का उपयोग कर रहे हैं। मासिक या सालाना के आधार पर लाइसेंस के लिए लेन-देन होता है। पांच से दस हजार रुपए महीने में लाइसेंस उपलब्ध हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों की माने तो नियमों को ताक पर रखकर नगर के मेडिकल स्टोर चल रहे हैं।

संचालक कच्चे बिल पर देते हैं दवाइयां अधिकांश मेडिकल स्टोर्स संचालक ग्राहकों को दवाओं का बिल नहीं देते हैं। कई बार ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों को कंपनी की दवाओं को छोड़कर उसी फॉर्मूले की लोकल दवाइयां थमा दी जाती है। सूत्रों की माने तो बिल देने के एवज में मेडिकल संचालकों को दवाओं की कंपनी भी उल्लेखित करना पड़ती है। इसी वजह से बिल देने से बचते नजर आते हैं। ऐसे में मरीज डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस के समय उनके क्लीनिक या घर पर जाकर जांच करवाते हैं।

मेडिकल की आड़ में चल रहे फर्जी क्लिनिक गांवों व छोटे कस्बों में जगह जगह मेडिकल स्टोर की आड़ में अवैध क्लिनिक चलाए जा रहे है। चिकित्सा विभाग को इसकी जानकारी होने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। इन मेडिकल संचालकों द्वारा मरीजों से मन माफिक फीस वसूली जाती है। ऐसे में अगर गलत दवा देने से तबीयत खराब हो जाती है, तब उन्हें बड़े अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है। ये लोग न तो कोई पर्ची पर दवाई लिखते है और न ही इलाज के लिए कोई प्रमाण छोड़ते हैं। ऐसे में अगर मरीज की सेहत पर कोई असर पड़ता है तो बिना सबूत के इन पर कोई कार्रवाई भी नहीं होती है।

पांवटा साहिब में धड़ल्ले से किराए के लाइसेंस व बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल दुकान चल रही है। इसमें बड़ी बात यह है कि बिना अनुभव वाले ही पूरे समय दुकान संभाल रहे हैं और दवाइयां भी लोगों को दे रहे हैं। पिछले लंबे समय से जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी अभियान चलाकर लगातार कार्रवाई नहीं कर रही है, इससे ऐसे लोगों के हौसले बुलंद हैं और बिना अनुभव वाले मरीज के परिजनों को दूसर दवाई भी दे रहे है।

ऐसे में इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भविष्य में कभी भी बड़ी घटना हो सकती है। बिना फार्मासिट के दवाई दुकान चल रहे है, यह ड्रग विभाग का आंकड़ा भी बयां कर रहा है। पांवटा साहिब सहित शहर में बड़ी संख्या में बिना नियम के मेडिकल दुकानों का संचालन किया जा रहा है। इसमें कई मेडिकल संचालक किराए पर लाइसेंस तो कई मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट के धड़ल्ले से चला रहे है। वहीं कई तो इससे भी आगे बढ़कर बिना लाइसेंस के ही दवाई दुकान संचालित कर रहे हैं। ऐसा ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा चल रहा है।

इन मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट बैठते ही नहीं हैं और कम पढ़े लिखे लोग बिना डिग्री के दवाईयां का सप्लाय कर रहे है जो लोगों के लिए जान पर भी बन सकती है। इसके बाद भी न तो प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है। लोगों ने ऐसे दुकान संचालकों पर कार्रवाई करने की मांग की है। जिसके पास फार्मासिस्ट की डिग्री होती है और पूरे २४ घंटे बैठकर दवाई बेचते है, वहीं मेडिकल स्टोर्स चला सकते है। लेकिन जिले में फार्मासिस्ट की डिग्री के आधार पर दूसरे लोग दुकान का संचालन कर रहे हैं। फार्मासिस्ट दूसरे काम में व्यस्त रहते हैं, जिन्हें दुकानों का कोई अनुभव नहीं है, वहीं उनकी दुकानों पर कई कम पढ़े लिखे लड़के दिनभर दुकान में आने जाने वाले लोगों को दवाई दे रहे हैं। ऐसे में कई बार डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाई के जगह पर अन्य दवाई मरीज या उनके परिजनों को दे दी जाती है। इससे उनकी साइड इफेक्ट झेलनी पड़ती है। कम पढ़े लिखे व जल्दीबाजी के चक्कर में कई लोग मिलान भी नहीं करते हैं, इसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

कोरोना के बाद बड़ी संख्या में खुल गए मेडिकल स्टोर्स
कोरोना संक्रमण के बाद पांवटा साहिब में अस्पतालों के साथ मेडिकल दुकान बड़ी संख्या में बढ़ गए हैं। इसके पहले जिले में बहुत कम मात्र दुकानें थी। लेकिन अब हर मोहल्ले सहित मुख्य मार्ग पर मेडिकल दुकानों का संचालन हो रहा है। जिसे बिना प्रशिक्षित लोग संचालित कर रहे हैं। इसके बाद भी विभाग अभियान चलाकर लंबे समय से दुकानों की जांच नहीं की हैं।

जिन मेडिकल स्टोर का नियमानुसार संचालन नहीं किया जा रहा है तो उसकी जांच की जाएगी। समय-समय पर मेडिकल का निरीक्षण किया जाता है नियम तोड़ने पर गत वर्ष भी कई मेडिकल स्टोर के लाइसेंस रद्द किए गए थे : ड्रग इंस्पेक्टर

मेडिकल स्टोर रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज़:

भारत में दवा की दुकान खोलने के लिए निम्न दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है:

  1. मेडिकल लाइसेंस आवेदन
  2. ड्रग लाइसेंस के लिए जमा की गई फ़ीस या चालान इनवॉइस
  3. जहां स्टोर खोलना है उसका ब्लू प्रिंट या योजना
  4. जिस मकान में स्टोर खोलना है उसका एग्रीमेंट पेपर
  5. मालिक और पार्टनर्स के पहचान और पते का प्रमाण
  6. जहां स्टोर खोलना है, उसके मालिकाना हक़ का प्रमाण
  7. रजिस्टर्ड एवं नियोजित फार्मासिस्टों या सक्षम कर्मचारियों का नियुक्ति पत्र
  8. फुल-टाईम काम करने वाले फार्मासिस्ट या सक्षम व्यक्ति का एफ़िडेविट
  9. ड्रग और कॉस्मेटिक अधिनियम, 1940 के तहत मालिक, पार्टनर्स या डायरेक्टर्स का गैर-दोषी (Non-conviction) एफ़िडेविट

मेडिकल स्टोर के लिए आवश्यक अन्य रजिस्ट्रेशन

भारत में मेडिकल स्टोर खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों और बुनियादी ज़रूरतों के अलावा आपको कई दूसरे रजिस्ट्रेशन भी करवाने पड़ते हैं। जिनके बारे में नीचे बताया गया है:

मेडिकल लाइसेंस

दवा की दुकान खोलने के लिए मेडिकल लाइसेंस सबसे ज़रूरी लाइसेंसों में से एक है। मेडिकल लाइसेंस पाने के लिए मेडिकल स्टोर के मालिक या नियुक्त किए गए फार्मासिस्ट के पास B.Pharma या M.Pharma की डिग्री के साथ एक योग्य फार्मासिस्ट होना आवश्यक है।

दुकान एवं प्रतिष्ठान रजिस्ट्रेशन

संबंधित राज्य/क्षेत्र के नगर निगम की नगरपालिका नियमों के अनुसार, सभी दुकान/बिज़नेस के पास उस राज्य के दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

GST रजिस्ट्रेशन

GST अधिनियम के तहत वार्षिक निर्धारित सीमा से ज़्यादा का कारोबार करने वाले मेडिकल स्टोर और दूसरे बिज़नेस के लिए वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) का रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है।

ड्रग लाइसेंस

मेडिकल स्टोर पर दवाओं की बिक्री और ख़रीद का काम होता है, इसलिए सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (CDSCO) और स्टेट ड्रग स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (SDSCO) से ड्रग का लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है। मेडिकल स्टोर ड्रग लाइसेंस दो प्रकार के होते हैं, जिन्हें स्टोर के प्रकार के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है:

  • रिटेल ड्रग लाइसेंस: सामान्य मेडिकल स्टोर चलाने के लिए रिटेल ड्रग लाइसेंस की आवश्यकता होती है। यह लाइसेंस केवल उसी व्यक्ति के नाम पर जारी किया जाता है, जिसके पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से फार्मेसी में डिग्री या डिप्लोमा हो।
  • होलसेल ड्रग लाइसेंस: यह लाइसेंस दवाओं और ड्रग्स का होलसेल बिज़नेस करने वाले लोगों को दिया जाता है।

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