पढि़ए क्या गिनवाई वजह, रिकॉर्ड मतों से एक बार रह चुके हैं अध्यक्ष।
पांवटा साहिब :नगर परिषद में वीरवार को नया घटनाक्रम सामने आया है। भाजपा के पार्षद संजय सिंघल ने अध्यक्ष कृष्णा धीमान व उपाध्यक्ष नवीन शर्मा से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है। अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा समर्थित अध्यक्षा को सात मत पड़े थे। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 6 मत मिले थे। इसी तरह निर्दलीय पार्षद नवीन शर्मा ने 7 वोट हासिल कर उपाध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर ली थी। सिंघल ने भाजपा के अध्यक्ष को इसी शर्त पर समर्थन दिया था कि उपाध्यक्ष की कुर्सी उन्हें दी जाए। सनद रहे कि पिछली मर्तबा संजय सिंघल नप के अध्यक्ष पद पर काबिज हुए थे, जिन्होंने परोक्ष चुनाव में समूचे प्रदेश में जीत के अंतर का रिकॉर्ड बनाया था। 1600 मतों के अंतर से जीतने वाले संजय सिंघल सीधे अध्यक्ष के चुनाव में एकमात्र थे। इसके अलावा अब तीसरी बार पार्षद बने हैं। साथ ही एक बार सिंघल की पत्नी भी नप की पार्षद रह चुकी है। यहां तक की परोक्ष अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के वार्ड से भी 250 मतों की लीड ली थी। उपायुक्त को लिखे पत्र में भाजपा पार्षद संजय सिंघल ने समर्थन वापस लेने की वजह भी बताई है।
यह बताए गए हैं कारण..
1. नगर परिषद पांवटा साहिब पिछले एक साल से लावारिस हालत में पहुंच गई है। विकास कार्य ठप पड़े हैं। जो विकास कार्य हो रहे हैं, उन्हें मनमाने रेट पर दिया जा रहा है। नप को करोड़ों रुपए की वित्तीय हानि हो रही है।
2. एक षडयंत्र के तहत तहबाजारी के प्लॉट को दुकान में परिवर्तित करके इसे किराए की दुकान में तबदील कर दिया गया है।
3. अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की मनमानी के चलते शहर के विकास कार्य शून्य हो गए हैं। सफाई व्यवस्था खराब हो चुकी है। शहरवासियों की शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है। नप के सदन में लिए गए निर्णयों को ठेंगा दिखाकर करोडों रुपए ट्रांसफर किए जा रहे हैं।
4. तहबाजारी नियमों को ताक पर रख कर स्थाई खोखों व स्थाई शैड दिए जा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि नप का ध्येय शहर को सुधारना नहीं, बल्कि शहर को विनाश की तरफ ले जाना है।
कुल मिलाकर अब देखना यह है कि इस राजनीतिक घटनाक्रम में उपायुक्त के स्तर पर क्या कार्रवाई की जाती है।