सूरज हत्याकांड में जैदी सहित आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद

चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट ने लॉकअप हत्याकांड में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है

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वर्ष 2017 में हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई में हुए बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत सोमवार को दोषी पुलिस कर्मियों की सजा पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले सीबीआई कोर्ट ने सोमवार सुबह दोषियों से उनकी आखिरी अपील सुनी।

हिमाचल के इतिहास में संभवतः यह पहली बार है जब किसी मामले की जांच कर रही एसआईटी को ही उम्रकैद ही सजा हुए हो।  18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर दोषी करार देने के बाद जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा बुड़ैल जेल बंद हैं।

कोर्ट ने सभी आरोपियों को आईपीसी एक्ट 120-बी में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 302 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 330 में तीन साल 10 हजार जुर्माना, 348 में एक साल व 5 हजार जुर्माना, को 120-बी, 195 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 196 में तीन साल व 10 हजार जुर्माना, 218 में एक साल व 10 हजार जुर्माना और 201 में एक साल और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।  बता दें, सूरज की गुड़िया हत्याकांड के 14 दिन बाद कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्या का आरोप दूसरे मुलजिम पर लगाया था। इस पर गुस्साए लोगों ने थाने समेत कई गाड़ियां फूंक दी थीं।

गौरतलब है कि शिमला जिले के कोटखाई में 4 जुलाई 2017 को लापता हुई 16 वर्षीय छात्रा का शव कोटखाई के तांदी के जंगल में निर्वस्त्र मिला था। मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान लॉकअप में मौत हो गई थी। मौत का यह मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई थी। इसी आधार पर सीबीआई ने आईजी जैदी सहित मामले से जुड़े नौ अन्य पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या की धारा 302, सुबूत खुर्द-बुर्द करने की धारा 201 सहित अन्य कई संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। वर्ष 2017 में इस मामले को शिमला जिला अदालत से चंडीगढ़ सीबीआई अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया। उसके बाद कई बार सुनवाई हुई और अब कोर्ट ने सजा सुनाई है।

 

चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट ने लॉकअप हत्याकांड में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

वर्ष 2017 में हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई में हुए बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत सोमवार को दोषी पुलिस कर्मियों की सजा पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले सीबीआई कोर्ट ने सोमवार सुबह दोषियों से उनकी आखिरी अपील सुनी। हिमाचल के इतिहास में संभवतः यह पहली बार है जब किसी मामले की जांच कर रही एसआईटी को ही उम्रकैद ही सजा हुए हो। 18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर दोषी करार देने के बाद जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा बुड़ैल जेल बंद हैं।
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कोर्ट ने सभी आरोपियों को आईपीसी एक्ट 120-बी में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 302 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 330 में तीन साल 10 हजार जुर्माना, 348 में एक साल व 5 हजार जुर्माना, को 120-बी, 195 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 196 में तीन साल व 10 हजार जुर्माना, 218 में एक साल व 10 हजार जुर्माना और 201 में एक साल और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। बता दें, सूरज की गुड़िया हत्याकांड के 14 दिन बाद कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्या का आरोप दूसरे मुलजिम पर लगाया था। इस पर गुस्साए लोगों ने थाने समेत कई गाड़ियां फूंक दी थीं। जानिए मामले में कब क्या हुआ…
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गौरतलब है कि शिमला जिले के कोटखाई में 4 जुलाई 2017 को लापता हुई 16 वर्षीय छात्रा का शव कोटखाई के तांदी के जंगल में निर्वस्त्र मिला था। मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान लॉकअप में मौत हो गई थी। मौत का यह मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई थी। इसी आधार पर सीबीआई ने आईजी जैदी सहित मामले से जुड़े नौ अन्य पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या की धारा 302, सुबूत खुर्द-बुर्द करने की धारा 201 सहित अन्य कई संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। वर्ष 2017 में इस मामले को शिमला जिला अदालत से चंडीगढ़ सीबीआई अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया। उसके बाद कई बार सुनवाई हुई और अब कोर्ट ने सजा सुनाई है।

गुड़िया और सूरज मामले में कब-कब क्या हुआ
4 जुलाई 2017 : महासू स्कूल से घर जा रही 16 वर्षीय लड़की गुड़िया (काल्पनिक नाम) लापता हो गई।
6 जुलाई 2017 : कोटखाई के दांदी जंगल में गुड़िया का शव मिला। पुलिस ने दुष्कर्म के बाद हत्या का शक जताया।
8 जुलाई 2017 : मौके पर पहुंचे एसपी। 72 घंटे बाद भी कोई सुराग नहीं लगने पर जनाक्रोश बढ़ा।
9 जुलाई 2017 : कई लोगों से पूछताछ के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं होने पर सीबीआई जांच की उठी मांग।
10 जुलाई 2017 : सरकार ने बढ़ते जनाक्रोश के बाद जांच के लिए एसआईटी का किया गठन।
11 जुलाई 2017 : पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। आरोपी को पकड़वाने के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ।
12 जुलाई 2017 : तत्कालीन मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर कुछ कथित आरोपियों के फोटो वायरल हुए।
13 जुलाई 2017 : एसआईटी ने छह लोगों आशीष, राजू, सुभाष, सूरज, लोकजन, दीपक को गिरफ्तार किया।
14 जुलाई 2017 : जांच के विरोध में ठियोग पुलिस थाना पर पथराव हुआ। गाड़ियां ताेड़ी गईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केस सीबीआई को सौंपने का एलान किया।
15 जुलाई 2017 : दो और लोगों के सैंपल जांच के लिए एकत्र किए। मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।
16 जुलाई 2017 : दांदी जंगल में लोगों ने किया हवन। मामले की जांच के लिए जंगल में पहुंची एसआईटी।
17 जुलाई 2017 : दिल्ली से मुंबई तक जस्टिस फॉर गुड़िया की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन। भाजपा नेताओं ने राजभवन पहुंचकर सरकार काे बर्खास्त करने की उठाई मांग।
18 जुलाई 2017 : कोटखाई पुलिस थाना में रात को इंटेरोगेशन के दौरान एक आरोपी सूरज की मौत हो गई। जनता ने थाने को घेरकर आग लगाने का प्रयास किया। कई पुलिस कर्मी हुए घायल।
22 जुलाई 2017 : सीबीआई ने दिल्ली में गुड़िया गैंगरेप और सूरज मौत मामले में केस दर्ज किया।
29 अगस्त 2017: सीबीआई ने सूरज हत्या मामले में आईजी जहूर एच जैदी, डीएसपी जोशी समेत आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार किए।
16 नवंबर 2017 : सूरज मौत मामले में ही पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
28 मार्च 2018 : हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई और सीबीआई निदेशक को तलब किया।
29 मार्च 2018 : गुड़िया केस में हाईकोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सीबीआई ने 25 अप्रैल से पहले गुड़िया के कातिल को पकड़ने का दावा किया।
13 अप्रैल 2018 : सीबीआई ने गुड़िया मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया। कोर्ट में पेश कर उसे रिमांड पर लिया और दिल्ली ले गई।
22 अप्रैल 2018 : सीबीआई आरोपी को लेकर दिल्ली से शिमला पहुंची।
23 अप्रैल 2018 : आरोपी को सीबीआई मौके की निशानदेही के लिए दादी जंगल ले गई।
18 जून 2021 : गुड़िया से रेप के आरोपी नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
अप्रैल 2019 : जहूर एच जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत। जारी रहा ट्रायल।
जनवरी 2020 : भाजपा की तत्कालीन सरकार ने जैदी को निलंबित किया।
जनवरी 2023 : कांग्रेस सरकार ने जैदी की सेवाएं बहाल कीं।
सितंबर 2023 : जैदी को पुलिस मुख्यालय में बताैर आईजी तैनाती दी गई।
18 जनवरी 2025: जैदी सहित आठ पुलिसकर्मी दोषी करार
27 जनवरी 2025: जैदी सहित आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा

संतरी की गवाही और डिजिटल रिकॉर्ड बने अहम सुबूत
मामले में कोटखाई थाने के संतरी दिनेश की गवाही सबसे अहम साबित हुई। संतरी ने ही थाने में पुलिसकर्मियों की पिटाई से सूरज की मौत का खुलासा किया था। इसकी रिकॉर्डिंग डीएसपी मनोज जोशी के मोबाइल में सेव थी। यह रिकार्डिंग सबसे पुख्ता सुबूत बनी। इस मामले में दोनों पक्षों के 100 से अधिक गवाह थे। सीबीआई ने आरोप साबित करने के लिए अदालत में 52 गवाह पेश किए। दरअसल, गुड़िया हत्याकांड में जांच के लिए आईजी जहूर हैदर जैदी के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी। जांच टीम ने नेपाल मूल के युवक सूरज समेत सात लोगों हिरासत मंे लिया था। लॉकअप में उसे नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म कर हत्या का इल्जाम कबूलने के लिए कहा। जब सूरज ने गुनाह कबूल नहीं किया तो पुलिसकर्मियों ने उसकी पूरी रात पिटाई की। पिटाई के कारण उसकी लॉकअप में ही मौत हो गई। सब इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत ने सूरज की पिटाई की थी।

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Himachal: सूरज हत्याकांड में जैदी सहित आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद, जानें मामले में अब तक क्या हुआ
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Mon, 27 Jan 2025 05:23 PM IST
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सार
चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट ने लॉकअप हत्याकांड में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
हिमाचल प्रदेश फटाफट: पढ़ें सभी खबरें 60s में
Police Custodial murder Case conviction live update today of gudiya case :Zaidi and Eight policemen
सूरज हत्याकांड में दोषी जैदी सहित अन्य पुलिस कर्मी कोर्ट पहुंचे। – फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वर्ष 2017 में हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई में हुए बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत सोमवार को दोषी पुलिस कर्मियों की सजा पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले में दोषी पूर्व आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले सीबीआई कोर्ट ने सोमवार सुबह दोषियों से उनकी आखिरी अपील सुनी। हिमाचल के इतिहास में संभवतः यह पहली बार है जब किसी मामले की जांच कर रही एसआईटी को ही उम्रकैद ही सजा हुए हो। 18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर दोषी करार देने के बाद जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा बुड़ैल जेल बंद हैं।
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कोर्ट ने सभी आरोपियों को आईपीसी एक्ट 120-बी में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 302 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 330 में तीन साल 10 हजार जुर्माना, 348 में एक साल व 5 हजार जुर्माना, को 120-बी, 195 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 196 में तीन साल व 10 हजार जुर्माना, 218 में एक साल व 10 हजार जुर्माना और 201 में एक साल और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। बता दें, सूरज की गुड़िया हत्याकांड के 14 दिन बाद कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने हत्या का आरोप दूसरे मुलजिम पर लगाया था। इस पर गुस्साए लोगों ने थाने समेत कई गाड़ियां फूंक दी थीं। जानिए मामले में कब क्या हुआ…
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गौरतलब है कि शिमला जिले के कोटखाई में 4 जुलाई 2017 को लापता हुई 16 वर्षीय छात्रा का शव कोटखाई के तांदी के जंगल में निर्वस्त्र मिला था। मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान लॉकअप में मौत हो गई थी। मौत का यह मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई थी। इसी आधार पर सीबीआई ने आईजी जैदी सहित मामले से जुड़े नौ अन्य पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या की धारा 302, सुबूत खुर्द-बुर्द करने की धारा 201 सहित अन्य कई संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। वर्ष 2017 में इस मामले को शिमला जिला अदालत से चंडीगढ़ सीबीआई अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया। उसके बाद कई बार सुनवाई हुई और अब कोर्ट ने सजा सुनाई है।

गुड़िया और सूरज मामले में कब-कब क्या हुआ
4 जुलाई 2017 : महासू स्कूल से घर जा रही 16 वर्षीय लड़की गुड़िया (काल्पनिक नाम) लापता हो गई।
6 जुलाई 2017 : कोटखाई के दांदी जंगल में गुड़िया का शव मिला। पुलिस ने दुष्कर्म के बाद हत्या का शक जताया।
8 जुलाई 2017 : मौके पर पहुंचे एसपी। 72 घंटे बाद भी कोई सुराग नहीं लगने पर जनाक्रोश बढ़ा।
9 जुलाई 2017 : कई लोगों से पूछताछ के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं होने पर सीबीआई जांच की उठी मांग।
10 जुलाई 2017 : सरकार ने बढ़ते जनाक्रोश के बाद जांच के लिए एसआईटी का किया गठन।
11 जुलाई 2017 : पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। आरोपी को पकड़वाने के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ।
12 जुलाई 2017 : तत्कालीन मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर कुछ कथित आरोपियों के फोटो वायरल हुए।
13 जुलाई 2017 : एसआईटी ने छह लोगों आशीष, राजू, सुभाष, सूरज, लोकजन, दीपक को गिरफ्तार किया।
14 जुलाई 2017 : जांच के विरोध में ठियोग पुलिस थाना पर पथराव हुआ। गाड़ियां ताेड़ी गईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केस सीबीआई को सौंपने का एलान किया।
15 जुलाई 2017 : दो और लोगों के सैंपल जांच के लिए एकत्र किए। मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।
16 जुलाई 2017 : दांदी जंगल में लोगों ने किया हवन। मामले की जांच के लिए जंगल में पहुंची एसआईटी।
17 जुलाई 2017 : दिल्ली से मुंबई तक जस्टिस फॉर गुड़िया की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन। भाजपा नेताओं ने राजभवन पहुंचकर सरकार काे बर्खास्त करने की उठाई मांग।
18 जुलाई 2017 : कोटखाई पुलिस थाना में रात को इंटेरोगेशन के दौरान एक आरोपी सूरज की मौत हो गई। जनता ने थाने को घेरकर आग लगाने का प्रयास किया। कई पुलिस कर्मी हुए घायल।
22 जुलाई 2017 : सीबीआई ने दिल्ली में गुड़िया गैंगरेप और सूरज मौत मामले में केस दर्ज किया।
29 अगस्त 2017: सीबीआई ने सूरज हत्या मामले में आईजी जहूर एच जैदी, डीएसपी जोशी समेत आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार किए।
16 नवंबर 2017 : सूरज मौत मामले में ही पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
28 मार्च 2018 : हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई और सीबीआई निदेशक को तलब किया।
29 मार्च 2018 : गुड़िया केस में हाईकोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सीबीआई ने 25 अप्रैल से पहले गुड़िया के कातिल को पकड़ने का दावा किया।
13 अप्रैल 2018 : सीबीआई ने गुड़िया मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया। कोर्ट में पेश कर उसे रिमांड पर लिया और दिल्ली ले गई।
22 अप्रैल 2018 : सीबीआई आरोपी को लेकर दिल्ली से शिमला पहुंची।
23 अप्रैल 2018 : आरोपी को सीबीआई मौके की निशानदेही के लिए दादी जंगल ले गई।
18 जून 2021 : गुड़िया से रेप के आरोपी नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
अप्रैल 2019 : जहूर एच जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत। जारी रहा ट्रायल।
जनवरी 2020 : भाजपा की तत्कालीन सरकार ने जैदी को निलंबित किया।
जनवरी 2023 : कांग्रेस सरकार ने जैदी की सेवाएं बहाल कीं।
सितंबर 2023 : जैदी को पुलिस मुख्यालय में बताैर आईजी तैनाती दी गई।
18 जनवरी 2025: जैदी सहित आठ पुलिसकर्मी दोषी करार
27 जनवरी 2025: जैदी सहित आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा

संतरी की गवाही और डिजिटल रिकॉर्ड बने अहम सुबूत
मामले में कोटखाई थाने के संतरी दिनेश की गवाही सबसे अहम साबित हुई। संतरी ने ही थाने में पुलिसकर्मियों की पिटाई से सूरज की मौत का खुलासा किया था। इसकी रिकॉर्डिंग डीएसपी मनोज जोशी के मोबाइल में सेव थी। यह रिकार्डिंग सबसे पुख्ता सुबूत बनी। इस मामले में दोनों पक्षों के 100 से अधिक गवाह थे। सीबीआई ने आरोप साबित करने के लिए अदालत में 52 गवाह पेश किए। दरअसल, गुड़िया हत्याकांड में जांच के लिए आईजी जहूर हैदर जैदी के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी। जांच टीम ने नेपाल मूल के युवक सूरज समेत सात लोगों हिरासत मंे लिया था। लॉकअप में उसे नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म कर हत्या का इल्जाम कबूलने के लिए कहा। जब सूरज ने गुनाह कबूल नहीं किया तो पुलिसकर्मियों ने उसकी पूरी रात पिटाई की। पिटाई के कारण उसकी लॉकअप में ही मौत हो गई। सब इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत ने सूरज की पिटाई की थी।

अमर उजाला ने किया था पुलिस की फर्जी कहानी का खुलासा
अमर उजाला ने पुलिस की फर्जी कहानी का खुलासा किया था। गुड़िया मामले से जुड़े सूरज हत्याकांड में संतरी दिनेश शर्मा अहम कड़ी निकला। शुरू में सीबीआई ने भी उस पर ज्यादा फोकस नहीं किया। संतरी दिनेश शर्मा बहुत डरा हुआ था। यह उसी लॉकअप की निगरानी में नियुक्त था, जिसमें नेपाली सूरज की हत्या हुई थी। सूरज हत्याकांड के बाद सस्पेंड हुआ तो उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। उसे डर था कि उसकी जान पर भी संकट आ सकता है। सीबीआई तफ्तीश के अनुसार पुलिस अधिकारी खुद उसे फंसाने की योजना बना चुके थे कि उसकी निगरानी में एक अन्य आरोपी ने सूरज को लॉकअप में मौत के घाट उतार दिया। संतरी तनाव में था। उसके परिजनों ने अमर उजाला से संपर्क किया। अमर उजाला ने ‘संतरी बोला- मेरे सामने राजू ने नहीं मारा सूरज को’ शीर्षक से उसकी कहानी छापी थी।

बहुचर्चित गुड़िया मामले में सत्र एवं जिला न्यायाधीश शिमला राजीव भारद्वाज की विशेष अदालत ने 18 जून 2021 को अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ कमलेश को नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या की धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अप्रैल 2018 में सीबीआई ने चिरानी नीलू को गिरफ्तार किया था। 28 अप्रैल 2021 को शिमला की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था।  पुलिस की ओर से सूरज समेत पहले गिरफ्तार किए गए सभी सात लोगों को निर्दोष पाया गया।

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