पांवटा साहिब : नकली और घटिया क्वालिटी की मिठाइयों से लोगों की सेहत से खिलवाड़, फैस्टीवल सीजन में मिलावटखोर सक्रिय

त्यौहारों के सीजन में विभिन्न प्रकार की मिठाईयों का सीजन भी शुरू हो जाता है और मिठाई व दूध विक्रेता इस सीजन का सारा साल इंतजार करते है। यदि देखा जाये तो मिठाई को देख कर हर किसी के मुँह में पानी भी आ जाता है परन्तु मिठाई खाने वाले व्यक्ति को यह बात का अंदाजा नही होता कि जिस मिठाई के लिए उसके मुँह में पानी आ रहा है कही वह मीठा जहर तो नही। क्षेत्रवासी अजीत गुरविंदर सनी पंकज सागर अन्य का आरोप है कि दीवाली से पहले क्षेत्र के अधिकतर मिठाई विक्रेता भारी मात्रा में मिठाई तैयार करने में सक्रिय हो जाते है और चांदी कूटने की तैयारी करते है।

अधिकतर मिठाई तैयार करने के लिए भारी मात्रा में दूध की जरूरत पड़ती है लेकिन इस दूध की भरपाई करना संभव नही है। इस लिए अधिकतर स्वीट माफिया दूध व सिंथैटिक दूध का प्रबंध कर लेते है। बाजार में मिठाई तैयार करने के लिए लोग काफी सक्रिय पाये जाते है ।भले ही त्यौहारों के दिनों में सरकार व स्वास्थ्य विभाग मिलावटी मिठाईयों व मिलावटी दूध की बिक्री पर रोक लगाने संबधी दावे जरूर करता है परन्तु व्यवहारिक रूप से ऐसा कुछ नही किया जाता। प्रत्येक वर्ष स्वास्थ्य मंत्री मिलावटखोरी रोकने के लिए कई तरह की घोषणएं करते है। त्यौहारों से पहले तैयार की जा रही मिठाई को कथित तौर पर कुछ एक कोल्ड स्टोरों में जमा की गई मिठाई दीपावली से एक दिन पहले ही बाहर सजावट के लिए लगाई जायेगी। जो कि सीधे तौर पर लोगों की सेहत के लिए हानिकारक होगी।

केंद्र सरकार ने मिलावट खोरों पर लगाम कसने के लिए फूड सेफटी एंड स्टैडरड एक्ट भले ही लागू किया हो लेकिन इसका कुछ कोई खास असर नजर नही आ रहा। वही अधिकारी पता नहीं क्यों इन दुकानदारों पर कार्रवाई करने से कतराते हैं लोगों का यह आरोप है कि अधिकारियों की इन मिलावटखोरों से मिलीभगत है तथा अधिकारियों को यह मिलावट खोर त्योहारों में गिफ्ट उनके दफ्तर होता कि पहुंचाने लग जाते हैं जिसके कारण अधिकारी भी आम जनता को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं सूत्रों के मुताबिक इस मामले में भी भ्रष्टाचार की परतें खुल सकती हैं क्योंकि कुछ अधिकारियों ने तो कुछ दुकानदारों से महीने तक बांधे हुए हैं परंतु शिकायत ना मिलने के कारण विजिलेंस विभाग भी मजबूर है वही एक अधिकारी नहीं तो अपनी नौकरी के लगभग 10 साल पोंटा साहिब में ही गुजार दिए हैं

यहां इस बात की भी चर्चा पाई जा रही है कि अगर स्वास्थ्य विभाग की सैंपल भरने की कोई योजना होती है तो संबधित लोगों तक पहले ही सूचना पहुंच जाती है और दुकानदार अपनी दुकानों के शट्टर नीचे कर देते है। इससे साफ पता चलता है कि विभाग की छापेमारी की सूचना पहले से ही लोगों तक कैसे पहुंच जाती है और विभाग के अधिकारियों को बिना सैंपलिंग करे खाली हाथ लोटना पड़ता है इसलिए इस धंधे में सक्रिय धंधेबाज दोनों हाथों से लोगों को चूना लगाने में सक्रिय रहते है।

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