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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आशियाना-2 प्रोजेक्ट के तहत मिलने वाले मकान को पाने के लिए झूठा बीपीएल प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आया है। नगर निगम को जब इस बात की सूचना मिली तो निगम ने आरोपित के खिलाफ जांच बिठाई, जांच में पता चला कि महिला ने झूठे प्रमाण पत्र दिखाकर आशियाना-2 प्रोजेक्ट की लाभार्थी बनी।
इतना ही नहीं जांच में यह भी पाया गया कि महिला सरकारी नाैकरी में तैनात है। इसके बाद निगम ने महिला को घर खाली करने का नोटिस दिया था, लेकिन आरोपित महिला ने निगम के आदेशों की अवमानना कर घर को खाली नहीं किया।
ऐसे में अब नगर निगम की ओर से ढली थाना में इस बारे में मामला दर्ज करवाया गया है। जानकारी के अनुसार नगर निगम के अतिरिक्त एसई-कम-प्रोजेक्ट डायरेक्टर इंजीनियर धीरज कुमार चंदेल ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि संतोष कुमारी निवासी सेट नंबर-4, ब्लॉक-20, आषियाना-द्वितीय, ढली को बीपीएल प्रमाण पत्र के आधार पर मकान आवंटित किया गया था।
स्थायी सरकारी कर्मचारी है महिला
शिकायत में स्पष्ट किया गया कि संबंधित महिला एक स्थायी सरकारी कर्मचारी है और उन्हें बीपीएल की श्रेणी में किसी भी तरह से नहीं रखा जा सकता। इसके बावजूद झूठे दस्तावेज प्रस्तुत कर उन्होंने नगर निगम से लाभ उठाया।
शिकायत के आधार पर नगर निगम ने इस पूरे मामले की जांच करवाई। जांच में यह तथ्य सही पाया गया कि आवेदिका ने फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्र लगाकर मकान हासिल किया। इसके बाद नगर निगम की ओर से संतोष कुमारी को नोटिस जारी किया गया, जिसमें उन्हें सात दिनों के भीतर मकान खाली करने के निर्देश दिए गए।
नोटिस की अवधि बीत जाने के बाद भी उन्होंने आदेशों की पालना नहीं की। मामले को गंभीर मानते हुए नगर निगम ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और अब मामले की जांच की जा रही है।