गुरु तेग़ बहादुर के बलिदान गुरुपर्व में पहुंचे नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर
Khabron wala
शिमला : नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने श्री गुरुद्वार सिंह सभा द्वारा रिज मैदान शिमला में आयोजित गुरु तेग़ बहादुर के शहीदी गुरुपर्व में पहुंच कर शीश नवाकर उनके बलिदान, वीरता और योगदान को याद किया। उनके बलिदान और वीरता की वजह से उन्हें ‘हिन्द दी चादर’ यानी हिन्द का रक्षक कहा जाता है। उन्होंने कहा कि उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर साहब के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे। औरंगजेब और उसके जैसे अत्याचारियों ने भले ही अनेकों सिर को धड़ से अलग किया हो लेकिन वह हमारी आस्था को हमसे अलग नहीं कर सका। गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने, भारत की अनेक पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी। बड़ी-बड़ी सत्ताएँ मिट गईं, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए पर भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है।
जयराम ठाकुर गुरु तेग़ बहादुर जी ने अपने कई वर्ष हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बिताए। पांवटा साहिब में उनका आश्रम रहा, जहाँ उन्होंने कई बाणी रचनाएँ कीं। आज गुरुद्वारा पांवटा साहिब श्रद्धालुओं के लिए महान तीर्थ है उनकी शिक्षाओं का, योगदान का, बलिदान का, वीरता का देश ऋणी है। उनके द्वारा दिखाए गए आदर्श हर भारतीय का आदर्श हैं। हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर जी को धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए उनके अद्वितीय और सर्वोच्च बलिदान के लिए सदैव याद किया जाता है।











