( जसवीर सिंह हंस ) पांवटा साहिब की स्वास्थ्य एवं सिंचाई विभाग द्वारा हैंडपंप मामले में चहेते ठेकेदारों को लाभ पहूंचाने का मामला सामने आया है। एक आरटीआई के खुलासे के अनुसार आईपीएच विभाग ने केवल 10 हैंडपंप की परमिशन पर 62 हैंडपंप लगाने के निर्देश दिए । इससे विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का भी नुकसान पहूंचेगा । इसमें एक भाजपा के छुटभैया नेता व विभाग में ठेकेदार को फायदा पहुचाने के लिए ये सारा घोटाला किया गया | इस सारे खेल में विधायक सुखराम चौधरी भी समर्थन देते नजर आ रहे है |
आईपीएच विभाग ने राहगीरों के गले को तर करने और पानी की समस्या को दूर करने के नाम पर अनियमितताओं के बीच हैंडपंपों की झड़ी लगा दी है। एमसी एरिया में विभाग ने 2017-18 में एमसी के लिए केवल 10 हैंडपंप की परमीशन ली थी । लेकिन विभाग के अधिकारियों ने अपने व राजनीतिक चहेतों को 62 हैंडपंप लगाने की इजाजत दे दी । वहीं अधिकारी अब 62 हैंडपंप्स पर संतोष जनक जवाब नही दे पा रहे हैं।
देखने वाली बात यह है की बिना परमीशन और अनियमितताओं के बीच 1 करोड़ से अधिक धनराशि के हैंडपंप का बजट आइपीएच कैसे पास करती है। जहाँ तक राजस्व नुकसान की बात है तो इस तरह है कि विभाग द्वारा चल रही विभिन्न पेयजल योजनाओं माध्यम से क्षेत्र के उपभोक्ताओं को जो उपलब्ध करवाया जा रहा है। विभाग उसके एवज में राजस्व वसूल करता है लेकिन अब हैंडपंपों में मोटर डालने के कारण विभाग अपना राजस्व वसूल नहीं कर पाएगा जिससे आईपीएच विभाग को लाखों रुपये राजस्व की हानि पहुंचेगी। इस बारे में आरटीआई एक्टिविस्ट चतर सिंह ने बताया कि आरटीआई के माध्यम से सामने आया है कि आईपीएच विभाग ने हैंडपंप के नाम पर बडे घोटाले को अंजाम दिया है। इस पूरे घोटाले में अनियमितताओं के बीच मोटी कमीशन बांटी गई है। और अपने चहेतों को लाभ पहूँचाया गया है।
गौर हो की 2017-18 और 2018-19 में आईपीएच विभाग ने दस हैंडपंप लगाने की शिमला अधिकारियों से परमीशन ली थी जबकि 2017-18 और 2018-19 में 62 हैंडपंप लगाए जा चुके हैं । जिन की परमिशन नहीं ली गई है ।देखने वाली बात यह है कि इतनी संख्या में हैंडपंप राहगीरों के लगाए गए थे। लेकिन इन सभी हैंड पंप में बिना परमिशन के मोटर (मोटर ड्राइवर पंप) डाल दी गई है। और चुने हुए लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। वहीं अब राहगीर इस पानी से अपनी प्यास नहीं बुझा पायेंगे।
वहीं इस बारे में एक्सीएन अश्वनी कुमार ने बताया कि एमसी एरिया में 10 हैंडपंप लगाने के बाद भी कुछ बजट बच गया था तो उन्होंने अधिकारियों के संज्ञान में डाल कर 8 से 10 हैंड पंप और लगा दिए । वहीं उन्होंने 62 हैंड पंप को लेकर आरटीआई में कुछ गलती होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कुछ हैंडपंप शहर के नजदीक पंचायतों में भी लगे हैं।