हिमालयन ग्रुप की 18.27 करोड़ रुपये मूल्य की पांच अचल संपत्तियों को अंतिम रूप से कुर्क कर दिया है। ईडी की चंडीगढ़ और शिमला की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को पांवटा साहिब और पंचकूला में यह कार्रवाई की।
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमालयन ग्रुप की 18.27 करोड़ रुपये मूल्य की पांच अचल संपत्तियों को अंतिम रूप से कुर्क कर दिया है। इन संपत्तियों में मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट के नाम पर सिरमौर के पांवटा साहिब में रजिस्टर्ड 125 बीघा जमीन, पंचकूला में दो फ्लैट भी शामिल हैं। ईडी की चंडीगढ़ और शिमला की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को पांवटा साहिब और पंचकूला में यह कार्रवाई की। इस मामले में करीब 15 दिन पहले हिमालयन ग्रुप के एमडी के भाई विकास बंसल को पंचकूला से गिरफ्तार किया था, जो शिमला की जेल में बंद है।
चंडीगढ़ जोनल कार्यालय एवं शिमला ईडी की संयुक्त टीम ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत हिमालयन ग्रुप के खिलाफ यह कार्रवाई की है। हिमाचल में साल 2013 से 2017 के बीच एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों के लिए केंद्र सरकार की ओर से जारी छात्रवृत्ति में 181 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। सीबीआई ने हिमाचल के 29 शिक्षण संस्थान संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी के दो और बाद में ईडी ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया था।
ईडी की टीम ने अब छात्रवृत्ति घोटाले में धन शोधन के तहत हिमालयन ग्रुप की संपत्तियों में मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट के नाम पर नाहन जिला सिरमौर में रजिस्टर्ड करीब 125 बीघा जमीन को कुर्क किया गया है। इसके अलावा पंचकूला में स्थित मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट में ट्रस्टी प्रीति बंसल और ऋचा बंसल के नाम पर रजिस्टर्ड दो फ्लैट को भी कुर्क किया गया है। इसके साथ ही कालाअंब स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस को भी कुर्क किया गया है जो मां सरस्वती एजुकेशनल ट्रस्ट के नाम पर रजिस्टर्ड है।
जिन्होंने दाखिला नहीं लिया उनके नाम पर ले लिया पैसा
ईडी ने जब जांच की तो पता चला कि उन विद्यार्थियों के विवरणों की पुष्टि करके छात्रवृत्ति राशि प्राप्त की थी, जिन्होंने इन संस्थानों के किसी कोर्स में दाखिला ही नहीं लिया था। इसके अलावा, छात्रवृत्ति से अधिक राशि को धोखाधड़ी से प्राप्त करने के लिए, विद्यार्थियों के झूठे विवरण एचपी-ई पास पोर्टल (डीओएचई, शिमला के छात्रवृत्ति पोर्टल) पर अपलोड किए गए थे। बाद में विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम को बदलना, विद्यार्थियों की जाति श्रेणी को बदलना, विद्यार्थियों को डे स्कॉलर के बजाय छात्रावासी दिखाना और दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के लिए फर्जी पाठ्यक्रम शुल्क संरचना का दावा करना भी फर्जीवाड़े में शामिल था। ईडी ने इससे पहले 80 लाख की नकदी, बैंक खातों में जमा 2.80 करोड़ फ्रीज, 10.67 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियों को कुर्क किया गया है। हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग में हिमालयन ग्रुप के एमडी रजनीश बंसल के भाई विकास को भी पंचकूला और एक अन्य आरोपी को शिमला से गिरफ्तार किया गया था।
ढाई करोड़ रिश्वत मामले में सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट
हिमाचल प्रदेश के छात्रवृत्ति घोटाले में शिक्षण संस्थान संचालकों से ढाई करोड़ रुपये रिश्वत मांगने के मामले में दर्ज एफआईआर नंबर-34 में शुक्रवार को सीबीआई की जांच टीम ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। हालांकि, सीबीआई का कहना है कि अभी एफआईआर नंबर-33 में जांच जारी है। चार्जशीट में जांच टीम ने ईडी के सहायक निदेशक विशालदीप, उसके सगे भाई विकासदीप, चचेरे भाई नवीन और दिल्ली सीबीआई मुख्यालय के डीएसपी बलबीर सिंह को आरोपी बनाया गया है। अब आरोपियों के खिलाफ केस ट्रायल शुरू करने के लिए आरोप तय करने की कार्रवाई शुरू होगी।
वहीं, रिश्वतकांड में फंसे दिल्ली सीबीआई के डीएसपी बलबीर सिंह को सीबीआई की जांच टीम ने बुड़ैल जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। आरोपी का रिमांड नहीं मांगे जाने के कारण उसे वापस न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस दौरान सीबीआई ने आरोपी डीएसपी को रिश्वत मांगने के मामले में दर्ज की गई दूसरी एफआईआर में भी जांच में शामिल किया, जबकि एक मामले में पहले ही उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है।
दरअसल एक दिन पहले ही सीबीआई ने आरोपी डीएसपी के प्रोडक्शन वारंट के लिए कोर्ट में आवेदन दायर किया था, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान आरोपी शिमला ईडी के सहायक निदेशक विशालदीप के चचेरे भाई नीरज और सगे भाई विकासदीप भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश हुए। इस मामले में अब अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी, जिसमें सभी आरोपियों को जेल प्रशासन द्वारा कोर्ट में वीसी के जरिये पेश किया जाएगा।