सिरमौर के काला आम्ब में स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट ने डकारे गरीब छात्रों के 13 करोड रुपए स्कॉलरशिप घोटाले में खुलासा

सिरमौर जिले के काला आम्ब  में स्थित हिमालय ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में सीबीआई ने गत दिवस दबिश दी यह जांच आज मंगलवार भी चलती रही बताया जा रहा है कि इस संस्थान से छात्रों भी से जुड़े दस्तावेज व कंप्यूटर सहित हार्ड डिस्क को सीबीआई टीम ने कब्जे में लिया शिमला में चंडीगढ़ से पहुंची सीबीआई की टीम ने हिमाचल ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में 2 दिन तक जांच की

इस संस्थान  पर आरोप है कि इसने इसके मालिको ने  गरीब छात्रों के वजीफे डकार लिए तथा संस्थान में दाखिले के दौरान फर्जी दस्तावेज छात्रों के आधार नंबर किसी अन्य छात्रों के नाम सबसे अधिक बैंक खाते अन्य राज्यों के थे इसके साथ ही बैंक खाते में मोबाइल नंबर ही एक व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है जांच के दौरान यह भी पाया गया कि ऐडमिशन फॉर्म में भी अन्य छात्रों के फोटो लगा दिए गए थे बताया जा रहा है कि संस्थान ने हिमाचल छात्रों की स्कॉलरशिप करने में कोई कसर नहीं छोड़ी वहीं सूत्रों के अनुसार इंस्टीट्यूट के मालिकों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है |

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ऐसे किया जाता रहा स्कॉलरशिप घोटाला: निजी विश्वविद्यालय राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में बच्चों की एडमिशन के लिए पहुंचते हैं। यहां पर बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए फार्म भरवाएं जाते हैं। इसमें काउंसलिंग के लिए छात्रों के हस्ताक्षर भी करवाए जाते हैं। इन्हीं फार्मों में बैंक में खाता खोलने का फार्म भी होता है। निजी काॅलेज या विश्वविद्यालय चतुराई से छात्रों के फोटो, आधार नंबर से लेकर हस्ताक्षर ले लेते हैं। इन सभी एससी, एसटी छात्रों की फर्जी एडमिशन अपने संस्थान में दिखाते हैं। बैंक में खाता खोलते समय इन छात्रों का एड्रेस संस्थान का दिया जाता है आैर फोन नंबर भी संस्थान के किसी कर्मचारी का दे दिया जाता है। पिन से लेकर एटीएम का स्कॉलरशिप घोटाले का दुरुपयोग किया जाता है। इस तरह से केंद्र से मिली स्कॉलरशिप पात्र छात्रों के बजाय संस्थान संचालक डकार रहे हैं।

 

करोड़ों का भ्रष्टाचार मामला वर्ष, 2016 में प्रकाश में आया था और पहले चरण में उच्च शिक्षा विभाग ने अपने स्तर पर ही जांच शुरू कर दी थी। बाद में पता चला कि यह करोड़ों का खेल चल रहा है। प्रदेश सरकार ने घोटाले की जांच के लिए केस सीबीआई को सौंपा। मामला सीबीआई को चला गया, लेकिन बाद में जांच एजेंसी ने यह कहकर केस वापस भेज दिया पहले राज्य सरकार अपने आधार पर एफआईआर दर्ज करें। उसके बाद ही केस को स्टडी करेंगे। ऐसे में अब उच्च शिक्षा विभाग ने सीबीआई के दिशा-निर्देशों को फॉलो करते हुए शिमला में पहली एफआईआर छोटा शिमला पुलिस थाने में दर्ज करवा दी।

जानकारी के मुताबिक परियोजना अधिकारी माध्यम से 16 नवंबर को छोटा शिमला पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर नंबर 133/18 है। उच्च शिक्षा विभाग ने उन निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है, जहां पर अवैध तरीके से किसी अन्य छात्रों की स्कॉलरशिप हड़प ली। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मामला दर्ज करने के बाद अब केस की फाइल गृह विभाग को जाएगी, जिसे जल्द ही सीबीआई को सौंपा जाएगा। बताया गया कि कर्नाटक के विश्वविद्यालय से संबंधित संस्थानों ने सबसे ज्यादा रकम डकारी है। स्कॉलरशिप घोटाले में हिमाचल प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों के नाम भी उजागर हुए हैं। यहां तक कि शातिर निजी शिक्षण संस्थानों ने बाहरी राज्यों के बैंकों में छात्रों के खाते खोल दिए थे।

बता दें कि वर्ष, 2013 से 2017 के बीच यानी चार साल में 266 करोड़ वजीफे बांटे गए, जिसमें से 80 फीसदी निजी शिक्षण संस्थानों ने ही डकार लिए। सबसे पहले मामला वर्ष, 2016 यानी पूर्व की वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में सामने आया था। पूर्व सरकार ने जांच में तेजी नहीं लाई। बाद में सरकार बदल गई और एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिली और बाद में शिकायत सरकार के एक मंत्री के पास पहंुचीं। ऐसे छात्र जब उच्च शिक्षा निदेशालय पहुंचे, तो छात्रवृत्ति बारे जानकारी ली गई तो वहां से जवाब मिलता है कि आपका वजीफा आपके खाते में चला गया है। उसके बाद ही हड़कंप मच गया। वर्तमान सरकार के समय पिछले पांच महीने से जांच चली हुई हे। इस बीच जांच में खुलासा हुआ कि 250 करोड़ का घोटाला हुआ है। इसे देखते हुए सरकार ने गत अगस्त में केस सीबीआई को सौंप दिया था।

250 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई के शिमला थाना में बुधवार को आईपीसी की धारा 409, 419, 465, 466 और 471 के तहत पहली एफआईआर दर्ज कर दी है। ऐसे में अब सीबीआई इस घोटाले की जांच में तेजी लाएगी। स्कॉलरशिप फर्जीबाडे़ की जांच सीबीआई को सौंपने से पहले कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार के पास फाइल फंसी हुई थी।

 

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