सिरमौर जिले के काला आम्ब में स्थित हिमालय ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में सीबीआई ने दबिश दी बताया जा रहा है कि इस संस्थान से छात्रों भी से जुड़े दस्तावेज व कंप्यूटर सहित हार्ड डिस्क को सीबीआई टीम ने कब्जे में लिया शिमला में चंडीगढ़ से पहुंची सीबीआई की टीम ने हिमाचल ग्रुप ऑफ़ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में 2 दिन तक जांच की तथा बैंक खातो की भी जाँच की |
इस संस्थान पर आरोप है कि इसने इसके मालिको ने गरीब छात्रों के वजीफे डकार लिए तथा संस्थान में दाखिले के दौरान फर्जी दस्तावेज छात्रों के आधार नंबर किसी अन्य छात्रों के नाम सबसे अधिक बैंक खाते अन्य राज्यों के थे इसके साथ ही बैंक खाते में मोबाइल नंबर ही एक व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है जांच के दौरान यह भी पाया गया कि ऐडमिशन फॉर्म में भी अन्य छात्रों के फोटो लगा दिए गए थे बताया जा रहा है कि संस्थान ने हिमाचल छात्रों की स्कॉलरशिप डकारने में कोई कसर नहीं छोड़ी वहीं सूत्रों के अनुसार इंस्टीट्यूट के मालिकों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है |
करोड़ों का भ्रष्टाचार मामला वर्ष, 2016 में प्रकाश में आया था और पहले चरण में उच्च शिक्षा विभाग ने अपने स्तर पर ही जांच शुरू कर दी थी। बाद में पता चला कि यह करोड़ों का खेल चल रहा है। प्रदेश सरकार ने घोटाले की जांच के लिए केस सीबीआई को सौंपा। मामला सीबीआई को चला गया, लेकिन बाद में जांच एजेंसी ने यह कहकर केस वापस भेज दिया पहले राज्य सरकार अपने आधार पर एफआईआर दर्ज करें। उसके बाद ही केस को स्टडी करेंगे। ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग ने सीबीआई के दिशा-निर्देशों को फॉलो करते हुए शिमला में पहली एफआईआर छोटा शिमला पुलिस थाने में दर्ज करवा दी थी ।
जानकारी के मुताबिक परियोजना अधिकारी माध्यम से 16 नवंबर को छोटा शिमला पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर नंबर 133/18 है। हिमाचल के मेधावी छात्रों की स्कॉलरशिप घोटाले पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी । बुधवार को शिमला स्थित सीबीआई थाने में इस पर मामला दर्ज किया गया। 250 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई के शिमला थाना में बुधवार को आईपीसी की धारा 409, 419, 465, 466 और 471 के तहत पहली एफआईआर दर्ज कर दी है। ऐसे में अब सीबीआई इस घोटाले की जांच में तेजी लाएगी। स्कॉलरशिप फर्जीबाडे़ की जांच सीबीआई को सौंपने से पहले कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार के पास फाइल फंसी हुई थी।
प्रदेश सरकार से दो बार पूरा ब्यौरा मांगने के बाद कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार ने सोमवार को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया और बुधवार को शिमला स्थित सीबीआई थाने में मामला दर्ज किया गया। प्रदेश सहित अन्य राज्यों में संचालित निजी शिक्षण संस्थानों के मालिको को गिरफ़्तारी का को खौफ सताने लगा है। इस मामले में कई बड़े शिक्षण संस्थान जांच के दायरे में हैं। शिमला पुलिस ने शिक्षा विभाग की शिकायत के आधार पर जो एफआईआर दर्ज की थी, उसमें भी कुछ निजी शिक्षण संस्थानों के नामों का उल्लेख किया गया था। इसके बाद कुछ संस्थानों के प्रतिनिधि सचिवालय भी पहुंचे थे। स्कॉलरशिप घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। बताया जा रहा है कि कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं।
उच्च शिक्षा विभाग ने उन निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी , जहां पर अवैध तरीके से किसी अन्य छात्रों की स्कॉलरशिप हड़प ली। बताया गया कि कर्नाटक के विश्वविद्यालय से संबंधित संस्थानों ने सबसे ज्यादा रकम डकारी है। स्कॉलरशिप घोटाले में हिमाचल प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों के नाम भी उजागर हुए हैं। यहां तक कि शातिर निजी शिक्षण संस्थानों ने बाहरी राज्यों के बैंकों में छात्रों के खाते खोल दिए थे।
बता दें कि वर्ष, 2013 से 2017 के बीच यानी चार साल में 266 करोड़ वजीफे बांटे गए, जिसमें से 80 फीसदी निजी शिक्षण संस्थानों ने ही डकार लिए। सबसे पहले मामला वर्ष, 2016 यानी पूर्व की वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में सामने आया था। पूर्व सरकार ने जांच में तेजी नहीं लाई। बाद में सरकार बदल गई और एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिली और बाद में शिकायत सरकार के एक मंत्री के पास पहंुचीं। ऐसे छात्र जब उच्च शिक्षा निदेशालय पहुंचे, तो छात्रवृत्ति बारे जानकारी ली गई तो वहां से जवाब मिलता है कि आपका वजीफा आपके खाते में चला गया है। उसके बाद ही हड़कंप मच गया। जांच चली हुई हे। इस बीच जांच में खुलासा हुआ कि 215 करोड़ का घोटाला हुआ है। इसे देखते हुए सरकार ने गत अगस्त में केस सीबीआई को सौंप दिया था।
कई राज्यों में होगी जांच, 7.5 लाख छात्रों का रिकॉर्ड खंगालेंगे: जांच टीम पांच साल की छात्रवृत्तियों का रिकॉर्ड खंगालेगी। हर साल करीब डेढ़ लाख हिमाचली विद्यार्थियों को केंद्र सरकार छात्रवृत्तियां प्रदान करती है। इससे साढ़े सात लाख विद्यार्थियों का पूरा रिकॉर्ड खंगाला जाएगा। जांच की जद में हिमाचल के अलावा बाहरी राज्यों के संस्थान भी आ गए हैं। इनमें निजी मेडिकल कॉलेजों से लेकर पॉलीटेक्निक, इंजीनियरिंग व पैरामेडिकल संस्थान, नर्सिंग संस्थान व यूनिवर्सिटीज शामिल हैं।