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हिमाचल प्रदेश में नशा तस्करी की जड़ें अब और गहराई तक फैलती नजर आ रही हैं। कांगड़ा जिला की नूरपुर पुलिस ने तीन नशा तस्करों को गिरफ्तार कर एक बड़े नशा नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। इन गिरफ्तारियों में एक महिला की संलिप्तता भी सामने आई है, जिससे नशे के कारोबार में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को लेकर चिंता और गहरा गई है।
नाकाबंदी में दो युवक धराए
दरअसल नूरपुर पुलिस ने थाना फतेहपुर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र खटियाड़ में विशेष नाकाबंदी के दौरान दो युवकों को हेरोइन (चिट्टा) के साथ रंगे हाथ पकड़ा। पकड़े गए आरोपियों की पहचान अभय पठानिया और रोहित सिंह के रूप में हुई है, यह दोनों ही आरोपी जिला कांगड़ा के गांव मिनता, डाकघर नरनूह, तहसील फतेहपुर के निवासी हैं।
पुलिस ने दोनों के खिलाफ थाना फतेहपुर में एनडीपीएस एक्ट की धाराओं 21, 25, 29, 61 और 85 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें हिरासत में लिया। प्रारंभिक पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं, जिनसे पता चला कि यह कोई अकेली घटना नहीं, बल्कि एक संगठित तस्करी रैकेट का हिस्सा है जिसमें अन्य लोग भी शामिल हैं।
छापेमारी के दौरान महिला आरोपी गिरफ्तार
पूछताछ के आधार पर कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने कई स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान 24 जुलाई को एक महत्वपूर्ण सफलता तब मिली जब पंजाब के कपूरथला जिले से एक महिला आरोपी को हिरासत में लिया गया। आरोपी की पहचान परमजीत कौर पत्नी सुखदेव सिंह के रूप में हुई है] जो गांव हमीरा] डाकघर सुभानपुर की निवासी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार परमजीत कौर इस नेटवर्क की एक अहम कड़ी मानी जा रही है और नशे की खेपों के ट्रांजिट और वितरण में सक्रिय भूमिका निभा रही थी। उसे उसके घर से गिरफ्तार कर हिमाचल लाया गया है, जहां उससे गहन पूछताछ जारी है।
कांगड़ा पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे नशे के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करें और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस को दें। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि नशा माफिया के खिलाफ अभियान और तेज किया जाएगा, ताकि समाज को इस जहर से बचाया जा सके। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क के पीछे और भी कई नाम हो सकते हैं, जिनकी पहचान और गिरफ्तारी के लिए अभियान जारी रहेगा।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि नशा तस्करी के इस अंधेरे कारोबार में महिलाओं की भागीदारी क्यों बढ़ रही है। सामाजिक ढांचे में महिलाओं को जहां एक ओर परिवार और समाज की रीढ़ माना जाता है] वहीं जब वे इस प्रकार के अपराधों में संलिप्त पाई जाती हैं] तो यह न केवल कानून-व्यवस्था के लिए बल्कि सामाजिक मूल्यों के लिए भी खतरे की घंटी है।
यह घटना एक चेतावनी है कि नशा अब केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संकट बन चुका है। विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी इस बात को और अधिक भयावह बना देती है, और यह वक्त की माँग है कि कानून, समाज और परिवार मिलकर इस महामारी के खिलाफ एकजुट हों।