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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के समीप कोटखाई स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शाखा में 75 लाख रुपये की गबन का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बैंक के करेंसी चेस्ट से बड़ी रकम के अचानक गायब हो जाने की घटना ने बैंकिंग जगत के साथ.साथ जांच एजेंसियों को भी सकते में डाल दिया है।
यह वित्तीय अनियमितता उस समय उजागर हुई जब 6 अगस्त को बैंक की शाखा में नियमानुसार द्विमासिक निरीक्षण (बाय-मंथली वेरिफिकेशन) किया गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि करेंसी चेस्ट से 500 रुपए के 15 बंडल यानी कुल 75 लाख रुपये संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हैं। प्रारंभिक जांच में किसी भी प्रकार की तकनीकी त्रुटि या लेखा त्रुटि का संकेत नहीं मिला, जिससे मामला संदेह के घेरे में आ गया।
गड़बड़ी की सूचना मिलते ही एसबीआई शिमला मंडल के क्षेत्रीय प्रबंधक वेद प्रकाश ने राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (विजिलेंस) में औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत के आधार पर विजिलेंस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कर लिया है। बैंक प्रबंधन द्वारा भेजी गई एक विशेष टीम ने स्वतंत्र रूप से रिकॉर्ड और रजिस्टरों की जांच की, जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि यह रकम किसी लापरवाही से नहीं] बल्कि सुनियोजित तरीके से गायब की गई है।
विजिलेंस की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में तत्कालीन सेवा प्रबंधक (सर्विस मैनेजर), वर्तमान सेवा प्रबंधक और शाखा के रोकड़ अधिकारी को आरोपी बनाया गया है। इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (IPC) की धारा 314, 316(2), 318(4), 344 और 61(2), तथा भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 13(1)(A) सहपठित धारा 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जांच एजेंसी अब उक्त अधिकारियों को तलब कर उनसे पूछताछ करेगी और लेन-देन से संबंधित सभी दस्तावेजों की गहनता से पड़ताल की जाएगी। साथ ही यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं इस गबन में किसी और कर्मचारी या बाहरी व्यक्ति की संलिप्तता तो नहीं है। सूत्रों के अनुसार, बैंक की सुरक्षा प्रणाली, सीसीटीवी रिकॉर्ड और इलेक्ट्रॉनिक एंट्री लॉग को भी खंगाला जा रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर से बैंकिंग संस्थानों की आंतरिक निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम जनता के पैसे की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है। यह घटना इस बात की ओर संकेत करती है कि मजबूत निगरानी प्रणाली और जवाबदेही तंत्र की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।