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हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में औषधीय भांग की खेती को कानूनी रूप देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश में ही पैदा होने वाली भांग के बीजों को रिफाइंड कर ऐसे बीज तैयार किए जाएंगे, जिनसे उगने वाली भांग में नशे की मात्रा न्यूनतम होगी, लेकिन औषधीय गुण भरपूर होंगे।
सरकार ने इसकी जिम्मेदारी कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी है, जो इन बीजों को रिफाइंड करने के बाद इनकी नर्सरी तैयार करेगा। पहले सरकार ने बीज बाहर से आयात करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब आत्मनिर्भर नीति के तहत प्रदेश में ही बीज विकसित करने का निर्णय लिया गया है। मौजूदा समय में राज्य में प्राकृतिक रूप से उगने वाली भांग में नशे की मात्रा अधिक होने के कारण इसकी खेती अवैध है।
कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने बताया कि नर्सरी तैयार होने के बाद पहले चरण में कुछ किसानों की पहचान की जाएगी और उन्हें खेती के लिए पौधे दिए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि भांग की खेती केवल लाइसैंस प्राप्त किसान ही कर सकेंगे, जिन्हें अपने खेत का पूरा ब्यौरा सरकार को देना होगा। इस पहल का उद्देश्य भांग के बीज, फूल, रेशे और पत्तों का उपयोग दवाइयों और अन्य औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में करना है।











