Khabron wala
शिमला के करीब जुन्गा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल में दुनिया भर के अनुभवी ‘मानव परिंदों’ ने अपनी कला का जौहर दिखाया। लेकिन इस प्रतिस्पर्धा की लाइमलाइट किसी दिग्गज ने नहीं, बल्कि असम की 16 वर्षीय शैशी ने चुरा ली। असम की कैलपैंग की यह युवा पैराग्लाइडर न सिर्फ प्रतियोगिता की सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थीं, बल्कि उन्होंने अपनी निडरता से आसमान को एक नया संदेश दिया है।
चुनौतियों को बनाया सीढ़ी
जहां एक ओर तमाम विदेशी और देशी विशेषज्ञ अपनी सटीकता और कौशल का प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं शैशी ने 8,000 फीट की हैरतअंगेज ऊंचाई से उड़ान भरकर सबको प्रेरित किया। वर्ष 2022 में इस साहसिक खेल की शुरुआत करने वाली शैशी के लिए यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि इस क्षेत्र में उम्र की कमी, अनुभव का अभाव और शुरुआती डर—ये तीनों बड़ी बाधाएं थे, मगर उनका दृढ़ संकल्प हर चुनौती पर भारी पड़ा। शैशी के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा उनकी मां हैं, जो असम में पैराग्लाइडिंग के व्यवसाय का संचालन करती हैं। मां की प्रेरणा से ही शैशी ने इस खेल को अपनाया।

शैशी ने बताया कि पैराग्लाइडिंग में महिलाओं के लिए कोई अलग वर्ग नहीं होता, और उन्हें पुरुषों के साथ ही ओपन कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। हालांकि, वह इसे बाधा के बजाय एक बेहतरीन अवसर मानती हैं। उनका मानना है कि यह उन्हें खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए प्रेरित करता है।
बीड़ बिलिंग के विश्वस्तरीय इवेंट सहित देश के कई अन्य टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुकी शैशी की प्रतिभा और हौसले को जुन्गा के आयोजकों ने भी तहे दिल से सराहा है।











