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कहते हैं कि जब हौसलों की आंखें खुली हों, तो नजरों की कमी भी सपनों का रास्ता नहीं रोक पाती। हिमाचल प्रदेश की मुस्कान नेगी ने यह साबित कर दिया कि, सीमाएं केवल सोच में होती हैं। दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल कर इतिहास रच दिया है। वह विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाली पहली शत-प्रतिशत दृष्टिबाधित महिला बनी हैं।
RKMV में दे रही हैं सेवाएं
डॉ. मुस्कान नेगी ने संगीत विषय में यह शोध कार्य डॉ. मृत्युंजय शर्मा के मार्गदर्शन में पूरा किया। वर्तमान में वह शिमला स्थित राजकीय कन्या महाविद्यालय (RKMV) में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दे रही हैं और साथ ही दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत उमंग फाउंडेशन की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। उनकी इस उपलब्धि पर RKMV की प्राचार्या प्रो. अनुरिता सक्सेना ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।
शोध निर्देशक डॉ. मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि एमए, एमफिल और पीएचडी के दौरान मुस्कान नेगी ने दृष्टिबाधित होने को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उच्च शिक्षा में ब्रेल सामग्री की सीमाओं के बावजूद उन्होंने टॉकिंग सॉफ्टवेयर युक्त लैपटॉप और मोबाइल की मदद से ई-रिसोर्सेज का प्रभावी उपयोग कर अपनी पढ़ाई पूरी की। यह उनके दृढ़ संकल्प और तकनीक के सकारात्मक इस्तेमाल का उदाहरण है।
डॉ. मुस्कान इन्हें दिया श्रेय
डॉ. मुस्कान नेगी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता श्रीमती अंबिका देवी और श्री जयचंद को दिया, जिन्होंने बचपन से ही उन्हें पढ़ाई और संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने अपने शोध निर्देशक, संगीत विभाग के प्रो. जीतराम, प्रो. राम स्वरूप शांडिल्य सहित अन्य शिक्षकों और सहपाठियों का भी आभार व्यक्त किया। साथ ही उमंग फाउंडेशन और उससे जुड़े युवाओं के सहयोग को अपनी इस यात्रा का महत्वपूर्ण आधार बताया।
भारतीय चुनाव आयोग की यूथ आइकॉन
गौरतलब है कि, मुस्कान नेगी को युवाओं में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ष 2017 से भारतीय चुनाव आयोग की यूथ आइकॉन के रूप में चुना गया है। गायन के क्षेत्र में उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान मिल चुके हैं।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल उन्हें राजभवन में सम्मानित कर चुके हैं। देश-विदेश, विशेषकर अमेरिका के पांच राज्यों में अपने गायन से पहचान बना चुकी डॉ. मुस्कान नेगी सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं और नियमित रक्तदान कर समाज सेवा का उदाहरण पेश कर रही हैं।









