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हिमाचल प्रदेश में इस साल मौसम की मार काफी देखने को मिली है, जब से मानसून ने दस्तक दी है, पहाड़ी राज्य में 94 लोगों की मौत हो चुकी है, कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। करोड़ों का नुकसान हुआ है, कई प्रॉपर्टी ध्वस्त हो चुकी हैं, कई घरों में भी दरारें देखने को मिली हैं। लैंडस्लाइड की खबरें भी लगातार आ रही हैं। अब इस बीच सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने हिमाचल प्रदेश को लेकर बड़ी बात बोल दी है।
सुप्रीम कोर्ट हिमाचल लेकर परेशान
जस्टिस जेबी पारदिवाला और आर महादेवगन की बेंच ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि वो दिन अब हमे दूर नहीं दिखता जब पूरा हिमाचल प्रदेश ही गायब हो जाएगा। हमे यह कहते हुए दुख हो रहा है पहले ही काफी देर हो चुकी है, लेकिन स्टेट ने राज्य को बचाने के लिए कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। हिमाचल में हालात खराब से बदतर हो चुके हैं। इकोलॉजिकल इमबैलेंस की वजह से कई सालों से राज्य प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेल रहा है। इस साल भी कितने लोग इस बाढ़ और लैंडस्लाइड से प्रभावित हुए हैं, प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचा है।
हिमाचल के सामने क्या चुनौतियां?
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कई सारी चुनौतियों का भी जिक्र किया है। सर्वोच्च अदालत के मुताबिक हिमाचल प्रदेश इस समय डीफॉरेस्टेशन, क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। इसके अलावा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स की वजह से पानी की कमी हो रही है, लैंडस्लाइड देखने को मिल रही हैं। पर्यटकों का भी जरूरत से ज्यादा आना संसाधनों पर जोर डाल रहा है। इसके अलावा फोर लेन सड़कों का बनना, टनल का निर्माण भी चुनौती बढ़ा रहा है
कैसे शुरू हुआ था विवाद?
ज्यादा पर्यटकों को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी चिंता जाहिर कर दी है। जोर देकर कहा गया है क पीक सीजन के दौरान ज्यादा पर्यटकों की वजह से ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती है, वेस्ट जनरेशन होता है, नॉइस पॉल्यूशन होता है, पानी का ज्यादा इस्तेमाल होता है। अब जानकारी के लिए बता दें कि कुछ होटल ग्रुप्स ने हाई कोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी थी। उस फैसले में कहा गया था कि जिस इलाके को ग्रीन जोन घोषित किया गया है, वहां कंस्ट्रक्शन नहीं हो सकता। अब सुप्रीम कोर्ट ने उसी मामले में हाई कोर्ट के फैसले को जारी रखा है और पहाड़ी राज्य को लेकर गंभीर चिंता जाहिर कर दी है।
सर्वोच्च अदालत ने आने वाले दिनों में हिमाचल सरकार से ही जवाब मांगा है, उन्हें बताना होगा आखिर कैसे पहाड़ी राज्य को बचाया जाए, किस तरह से प्राकृतिक आपदाओं से निपटा जाए और किस तरह से जमीन पर नियमों का पालन करवाया जाए।