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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के इंदौरा थाना क्षेत्र में एक 18 साल से कम उम्र की लड़की से दुराचार का गंभीर मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर प्रदेश में महिलाओं और युवतियों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए 19 वर्षीय युवक को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पीड़िता के ही गांव का रहने वाला है।
घर से अचानक लापता हुई थी लड़की
इंदौरा थाना प्रभारी इंस्पेक्टर आशीष पठानिया ने जानकारी देते हुए बताया कि 14 अगस्त को एक व्यक्ति ने अपनी नाबालिग बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई थी। परिजनों के अनुसार उन्होंने हर संभावित स्थान पर बेटी की तलाश की, लेकिन वह कहीं नहीं मिली। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर तत्काल कार्रवाई शुरू की और लड़की की तलाश के लिए विशेष टीम गठित की गई।
तीन दिन बाद 17 अगस्त को पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर लड़की को एक युवक के साथ बरामद कर इंदौरा थाना लाया। प्रारंभ में पीड़िता ने चिकित्सकीय जांच करवाने से इनकार कर दिया, जिस कारण पुलिस ने उसे परिजनों को सौंप दिया। लेकिन अगले ही दिन लड़की ने पुलिस को बताया कि युवक ने उसके साथ दुराचार किया है और अब वह अपनी चिकित्सकीय जांच करवाना चाहती है।
पुलिस ने लड़की के बयान के आधार पर युवक के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। मामले की पुष्टि एसडीपीओ इंदौरा संजीव कुमार यादव ने की है। फिलहाल पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।
हिमाचल में बढ़ रहे अपराध
हाल के वर्षों में हिमाचल प्रदेश जैसे शांत राज्य में भी नाबालिगों और महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। शहरी ही नहींए ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैंए जो सामाजिक ताने.बाने और सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।
पुलिस और प्रशासन को जहां संवेदनशीलता के साथ तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए, वहीं समाज के स्तर पर भी चेतना और नैतिकता की जरूरत है। परिवार, स्कूल और समाजकृतीनों को मिलकर युवाओं में सही दिशा देने की भूमिका निभानी होगी, ताकि ऐसे अपराधों को जड़ से खत्म किया जा सके।
सामाजिक चेतना की जरूरत
यदि हिमाचल जैसे शांत राज्य में भी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, तो यह न सिर्फ कानून-व्यवस्था की विफलता है, बल्कि सामाजिक चेतना की भी कमी का संकेत है। समय रहते कार्रवाई और जागरूकता ही इस बढ़ती हुई सामाजिक बुराई पर अंकुश लगा सकती है।