Himachal: अब लेक्चरर को पढ़ानी होंगी छठी से 12वीं तक की कक्षाएं, शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना में जरूरी निर्देश जारी

Khabron wala 

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रवक्ता (स्कूल न्यू) अब कक्षा छठी से 12वीं तक को पढ़ाएंगे। निदेशक स्कूल शिक्षा विभाग आशीष कोहली की ओर से इस संबंध में स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

नियमों में इसका प्रविधान पहले से है, लेकिन इसकी पालना नहीं हो रही थी। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने भर्ती एवं पदोन्नति नियम (आरएंडपी) नियमों और शिक्षा कोड के प्रविधानों को दोहराते हुए सभी सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि प्रवक्ता (स्कूल न्यू) को कक्षा छठी से 12वीं तक पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाए।

यह देखा गया है कि कई संस्थानों में प्रवक्ता को केवल कक्षा 11 और 12 की पढ़ाई तक सीमित कर दिया जाता है, जो न तो आरएंडपी नियमों के अनुसार है और न ही उनकी नियुक्ति की शर्तों के अनुरूप। आरएंडपी नियमों के अनुसार प्रवक्ता (स्कूल न्यू) को कक्षा 11 और 12 में स्नातकोत्तर विषयों के साथ कक्षा छठी से 10वीं तक स्नातक स्तर के विषय पढ़ाने की पात्रता है।

शिक्षा कोड के अनुसार, विद्यालय के प्रधानाचार्य को यह अधिकार है कि वे संस्थागत आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण कार्य सौंपे। लेक्चरर (स्कूल न्यू) को निचली कक्षाओं में पढ़ाने की जिम्मेदारी देना न केवल प्रशासनिक रूप से वैध है, बल्कि यह स्कूलों की शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक भी है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप यह कदम यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसमें लचीलापन, संसाधनों का एकीकृत नियोजन, और विषय विशेषज्ञता का प्रभावी उपयोग करके शिक्षण में सुधार की बात की गई है। निदेशालय ने सभी स्कूलों को यह निर्देश दिए हैं कि इन प्रविधानों को सक्रिय रूप से लागू करें और शिक्षण कार्यों में अनावश्यक विभाजन से बचें।

पढ़ाने से इन्कार करने वालों पर होगी कार्रवाई

स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने कहा कि बिना किसी वैध कारण के कोई प्रवक्ता स्कूल न्यू पढ़ाने से इंकार करता है तो उस पर प्रशासनिक कार्यवाही की जाएगी। निदेशालय ने सभी स्कूलों को तुरंत प्रभाव से इन नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा है, ताकि सभी स्तरों पर छात्रों के लिए बेहतर शैक्षणिक परिणाम और समान अवसर सुनिश्चित हो सकें। विभाग के इस निर्णय से स्कूलों में शिक्षकों की कमी नहीं खलेगी। वहीं खाली पद होने के चलते अन्य शिक्षकों को जो पढ़ाने का अतिरिक्त काम दिया जाता है वह भी खत्म होगा।

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