केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल की सराहना की प्राकृतिक खेती उत्पादों पर एमएसपी लागू करने वाला पहला राज्य बना हिमाचल

Khabron wala 

नई दिल्ली में हाल ही में आयोजित ‘मंथन बैठक’ में हिमाचल प्रदेश चर्चा का केंद्र बना रहा। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में देशभर के राज्यों से सहकारिता मंत्रियों ने भाग लिया। केंद्रीय मंत्री ने हिमाचल प्रदेश और मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमाचल में नैचुरल फार्मिंग में बहुत अच्छे प्रयोग हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को लेकर हिमाचल के प्रयास पूरे देश के लिए मिसाल हैं।

हिमाचल में लाखों किसानों ने प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया है। हिमाचल की 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और कृषि, बागवानी व पशुपालन मुख्य आजीविका के साधन हैं।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य में किसानों और बागवानों में प्राकृतिक खेती के प्रति रुचि लगातार बढ़ रही है। अब तक राज्य की लगभग सभी पंचायतों में 2.23 लाख से अधिक किसानों ने पूर्ण या आंशिक रूप से रासायनिक-मुक्त खेती को अपनाया है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां प्राकृतिक खेती से उपज होने वाली फसलों के लिए समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।

पिछले वर्ष मक्की का समर्थन मूल्य 30 रुपये प्रति किलो तय किया गया था, जिसे अब बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया गया है। अब तक 1,509 किसानों से लगभग 400 मीट्रिक टन मक्की की खरीद समर्थन मूल्य पर की जा चुकी है। इसी तरह गेहूं को 60 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है। सरकार ने प्राकृतिक तरीके से उगाए गई कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य की घोषणा की है, जिसे ‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड के तहत प्रसंस्कृत कर बाजार में बेचा जाएगा।

राज्य सरकार ने चरणबद्ध तरीके से 9.61 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहल के तहत, चंबा जिले के पांगी उप-मंडल को राज्य का पहला ‘प्राकृतिक खेती उप-मंडल’ घोषित किया गया है। इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक कृषि पद्धति को बचाना, खाद्य सुरक्षा बढ़ाना और जनजातीय क्षेत्रों में सतत् विकास को प्रोत्साहित करना है। वर्तमान में पांगी घाटी में लगभग 2,244 किसान परिवार रासायन-मुक्त खेती कर रहे हैं। सरकार कृषि, बागवानी के लिए इस्तेमाल होने वाली 2,920 हेक्टेयर कृषि भूमि पर 100 प्रतिशत प्राकृतिक खेती की शुरूआत करने की योजना बना रही है।

इस योजना से पारंपरिक बीजों का संरक्षण, जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा और स्थानीय कृषि संस्कृति का सम्मान भी होगा। इससे वहां के मेहनतकश किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिलेगा, जो पहले मजबूरी में अपनी जमीन दूसरों को खेती के लिए दे देते थे।

प्राकृतिक खेती उपज की बिक्री के लिए 10 मंडियों में विशेष स्थान और आवश्यक ढांचा विकसित किया जा रहा है।

प्राकृतिक खेती-खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में कुल 27.60 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं।

राज्य सरकार ने हमीरपुर जिले में एक स्पाइस पार्क (मसाला प्रसंस्करण केंद्र) स्थापित करने का निर्णय भी लिया है, जिससे क्षेत्र में उगाए जाने वाले मसालों को नई पहचान और बेहतर बाजार मिलेगा।

प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए सरकार कई प्रकार की सब्सिडी भी दे रही है, जैसे ड्रम की खरीद पर प्रति ड्रम 750 रुपये (अधिकतम 2,250 रुपये), गौशाला में पक्का फर्श और गोमूत्र गड्ढा बनाने के लिए 8,000 रुपये, देशी गाय खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी या अधिकतम 25,000 रुपये तक उपदान और परिवहन के लिए 5,000 रुपये की अतिरिक्त सहायता।

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