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दिसंबर में होने वाले पंचायतीराज चुनाव को टालने को लेकर मुख्यसचिव ने आदेश जारी कर दिए हैं. अधिसूचना में प्रदेश में प्रॉपर कनेक्टिविटी के बाद ही चुनाव संभव होने की बात कही गई है. अधिसूचना में कहा गया है. इस बार आपदा में प्रदेश को भारी नुकसान हुआ है. क्नेक्टिविटी बाधित हुई है. सड़कों की हालत खराब है. कई जिलों के डीसी ने इस बारे में पंचायत राज सचिव को पत्र भी लिखा है. अधिसूचना में बताया गया है कि हालात और कनेक्टिविटी बेहतर होने के बाद ही चुनाव संभव हैं.
अब इसे लेकर बीजेपी सरकार पर भड़क गई है. पूर्व मुख्यमंत्री को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनाव रद्द करने पर कहा कि मुख्यमंत्री और सरकार प्रदेश के लोगों का सामना नहीं कर सकती, इसलिए आपदा की आड़ में पंचायत चुनाव नहीं करवा रही है. सरकार को इस चुनाव के परिणाम पहले से ही पता है. इन चुनावों में कांग्रेस की करारी हार तय है, इसलिए पहले नगर निगम और नगर निकाय के चुनाव से किनारा किया और अब पंचायत चुनाव को भी रोक दिया है. आपदा के नाम पर पहले डिप्टी कमिश्नर से पत्र लिखवाए गए और तत्काल चुनाव टाल दिए गए. सब कुछ स्क्रिप्टेड था, जिस आपदा के नाम पर सरकार चुनाव टाल रही है उन्हीं आपदा प्रभावितों को सरकार ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है. सरकार अपनी नाकामी से भागने की बजाय जनता का सामना करें और निर्धारित समय पर चुनाव करवाए.
‘चुनाव से भाग रही कांग्रेस’
बीजेपी के विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि ‘कांग्रेस पार्टी और उनके मुखिया पंचायती राज चुनावों से भागते हुए दिखाई दे रहे हैं. लगातार एक के बाद एक ऐसे कदम हिमाचल प्रदेश की सरकार उठा रही है, जिससे साफ दिख रहा है कि ये लोग पंचायती राज चुनावों को 2 वर्ष आगे ले जाना चाहते हैं. पहले मंत्रिमंडल का पंचायती राज चुनावों को आगे ले जाने का प्रस्ताव देना, फिर चुनाव आयोग के साथ सीधा टकराव, वोटर लिस्ट पूरी न होने का बहाना बनाना, सरकार द्वारा जनगणना न होने पर चुनाव न करवा पाने का बहाना बनाना ऐसे अनेकों उदाहरण पहले भी हमारे समक्ष आ चुके हैं.’
त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि ‘अब तो हद ही हो गई है, राज्य के कई जिलों के डीसी ने पंचायतीराज सचिव को चुनाव टालने को पत्र लिखे हैं. इसमें आपदा के कारण निजी और सरकारी संपत्ति, सड़कों और रास्तों को हुए नुकसान का हवाला दिया गया है. बताया गया कि मनरेगा के तहत विभिन्न कार्य शुरू किए गए हैं. वर्तमान हालात में अभी पंचायतीराज चुनाव व्यावहारिक नहीं है. प्रशासन और विभाग के कर्मचारी आपदा राहत कार्यों में व्यस्त हैं. इसे देखते हुए सरकार से डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत आवश्यक आदेश जारी करने का आग्रह किया गया है. ये तभी संभव है, जब सरकार के मुखिया इस प्रकार के आदेश देंगे. शायद यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को अतिरिक्त कार्यभार दिया गया, जिसके कारण लगातार सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाते हुए सरकार अपना मतलब निकल सके.’
‘चुनावों से भागना चाहती है कांग्रेस’
त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि ‘ये स्पष्ट है कि आज चुनाव हो जाएं तो कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं पड़ेगा. यही बड़ा कारण है कि कांग्रेस पार्टी पंचायती राज चुनाव से भागना चाहती है, क्योंकि इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ेगा. प्रदेश की 3615 पंचायतों और 73 नगर निकायों में इसी साल चुनाव होने हैं, लेकिन जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए ये चुनाव समय पर होते नजर नहीं आ रहे हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने इलेक्शन कमीशन के आदेशों के बावजूद अब तक आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया. इस प्रकार की तानाशाही ज्यादा समय नहीं चलने वाली, चुनाव आज कर लो या कल सरकार को करारी हार का सामना करना ही पड़ेगा.’