हिमाचल: पलकें झपकीं, इशारों में करने लगा बात…अस्पताल में मृत घोषित किया व्यक्ति घर आक

Khabron wala 

हिमाचल प्रदेश के टांडा मेडिकल कॉलेज की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं, जब अस्पताल द्वारा मृत घोषित किए गए एक 52 वर्षीय व्यक्ति ने अपने घर पहुंचने के कुछ घंटों बाद पलकें झपकाकर और सांस लेकर परिवार को अचंभित कर दिया। हालांकि, यह राहत क्षणिक रही और करीब पांच घंटे बाद उस व्यक्ति की दुखद मौत हो गई। इस अविश्वसनीय घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है और चिकित्सा जगत में बड़ी लापरवाही का संकेत दिया है।

मेडिकल कॉलेज ने किया था मृत घोषित

पालमपुर नगर निगम के बिंद्राबन वार्ड, लोहरल निवासी 52 वर्षीय मिलाप चंद को शुक्रवार को स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण टांडा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। शनिवार दोपहर लगभग 1 बजे, कॉलेज के चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल ने सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया। परिवार शोक में डूब गया था और रविवार को अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी।

घर पर मिली जिंदगी की हल्की आहट

जब मिलाप चंद का पार्थिव शरीर घर पर लाया गया और परिजन उन्हें अंतिम विश्राम के लिए लिटा रहे थे, तभी यह चौंकाने वाला मोड़ आया। परिवार ने देखा कि उनकी आँखें खुल गईं और पलकें झपकने लगीं। सबसे पहले तो परिवार वालों को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब उन्होंने पानी देने की कोशिश की, तो मिलाप चंद ने पानी पी लिया और इशारों में उनके सवालों का जवाब देने लगे।

परिजन अरविंद कुमार ने इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने सवाल उठाया, “एक जीवित व्यक्ति को मृत बताकर घर भेजना कैसे संभव है? यह एक बड़ी और अक्षम्य लापरवाही है।” परिजनों के अनुसार, अस्पताल में दोपहर 1:30 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया था, लेकिन जब वे शाम 4 बजे तक शव लेकर घर पहुंचे, तो सांसें चलने लगी थीं। दुर्भाग्य से, रात 9 बजे के बाद उन्होंने अंततः दम तोड़ दिया।

अस्पताल प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

इस गंभीर मामले के सामने आने के बाद, टांडा मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, डॉ. विवेक बन्याल ने कहा है कि अगर ऐसी घटना हुई है, तो मामले की गहन जांच की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने के बाद सोमवार तक इस पूरे प्रकरण की वास्तविक सच्चाई और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उठाए गए कदमों को सार्वजनिक किया जाएगा।

यह घटना अस्पताल की जांच प्रक्रियाओं और जिम्मेदारियों पर गंभीर संदेह पैदा करती है और स्थानीय प्रशासन पर तत्काल कार्रवाई का दबाव बढ़ाती है।

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