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हिमाचल पुलिस ने नशे के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरैंस नीति का एक बड़ा उदाहरण पेश करते हुए अपने ही एक कांस्टेबल को ड्रग्स के कारोबार में संलिप्त पाए जाने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
इस पूरे मामले की परतें 16 मई को खुलनी शुरू हुईं, जब धर्मपुर पुलिस ने 31 वर्षीय हरीश शर्मा को 11.33 ग्राम हैरोइन (चिट्टा) के साथ गिरफ्तार किया था। जब पुलिस ने नशे के इस नैटवर्क की जड़ें खोदनी शुरू कीं, तो उनके भी होश उड़ गए। जांच की सुई एक ऐसे व्यक्ति पर जाकर टिकी, जिसकी पहचान ने पूरे विभाग को शर्मसार कर दिया। वह कोई और नहीं, बल्कि पुलिस कांस्टेबल ललित कंवर था। सबूतों से पता चला कि कंवर ने एक ऑनलाइन एप के जरिए ड्रग्स सप्लायर को पैसे भेजे थे। यह डिजिटल निशान ही उसकी बर्बादी का कारण बन गया और नशे के इस खेल में उसकी सक्रिय भूमिका को उजागर कर दिया।
महज 28 साल का ललित कंवर जबली गांव का रहने वाला है। 7 साल पहले उसने पुलिस की वर्दी पहनी थी, लेकिन नशे के सौदागरों से मिलीभगत ने उसके सम्मानजनक करियर को मिट्टी में मिला दिया। 19 जून को उसे गिरफ्तार कर लिया गया और तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। इसके तुरंत बाद एक विभागीय जांच बैठाई गई, जिसमें उस पर लगे सभी आरोप सही पाए गए और अब उसे अपनी नाैकरी से हाथ धाेना पड़ा।
सोलन के एसपी गौरव सिंह ने इस बात की पुष्टि की है। उन्हाेंने मामले पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह एक निंदनीय अपराध है। इस तरह के कृत्य पुलिस विभाग में जनता के विश्वास को खत्म करते हैं और पूरे पुलिस बल को अपमानित करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार और पुलिस विभाग नशे के खिलाफ जीरो टॉलरैंस की नीति अपना रहे हैं। हम तस्करों पर हर तरफ से हमला कर रहे हैं। ऐसे में अगर हमारा कोई कर्मचारी ही अपराधी बन जाए तो यह पूरी व्यवस्था की ईमानदारी पर सवाल उठाता है। ऐसे लोगों के लिए सेवा में कोई जगह नहीं है और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।