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हिमाचल प्रदेश की बेटियां आज हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। शिक्षा, खेल, देश सेवा, कला और अब फैशन व मॉडलिंग जैसे मंचों पर भी प्रदेश की होनहार बेटियां देश-विदेश में पहचान बना रही हैं। इसी कड़ी में शिमला जिले के दूरदराज क्षेत्र चौपाल से ताल्लुक रखने वाली अक्षरा चौहान ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर हिमाचल का नाम रोशन कर दिया है।
मिस नार्थ इंडिया बनी हिमाचल की बेटी
अक्षरा चौहान चौपाल उपमंडल की ग्राम पंचायत पौड़ियां की रहने वाली हैं। अक्षरा ने मिस नार्थ इंडिया कंपटीशन 2025 में पहला स्थान हासिल किया है। इस प्रतियोगिता में देश के अलग-अलग राज्यों की लड़कियों ने भाग लिया था। अक्षरा ने सबको पछाड़ कर पहला स्थान हासिल किया है।
अक्षरा चौहान एक अनुशासित और कर्मठ परिवार से आती हैं। उनके पिता राकेश चौहान और माता पुष्पा चौहान दोनों ही हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग में सेवाएं दे रहे हैं। पुलिस विभाग की सख्त दिनचर्या और अनुशासन के बीच पली-बढ़ी अक्षरा ने बचपन से ही मेहनत और लक्ष्य के प्रति समर्पण सीखा। यही संस्कार आज उनकी सफलता की नींव बने।
परिवार में खुशी की लहर
अक्षरा की इस बड़ी उपलब्धि से न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे चौपाल क्षेत्र और ग्राम पंचायत पौड़ियां में खुशी का माहौल है। स्थानीय लोगों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों ने मिठाइयां बांटकर और बधाइयां देकर अपनी खुशी जाहिर की।
लोगों का कहना है कि अक्षरा ने यह साबित कर दिया है कि संसाधनों की कमी कभी भी प्रतिभा के रास्ते में बाधा नहीं बन सकती। अक्षरा ने गांव से निकलकर अपनी मेहनत के दम पर अलग पहचान बनाई है- जो कि पूरे हिमाचल के लिए बेहद गर्व की बात है।
माता-पिता ने हमेशा दिया साथ
अक्षरा चौहान ने कहा कि इस सफलता के पीछे उनके माता-पिता का त्याग,उनका विश्वास और गुरुजनों का मार्गदर्शन सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि अगर परिवार का साथ और सही दिशा में प्रेरणा मिले- तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। अक्षरा ने युवा बेटियों को संदेश दिया कि वे अपने लक्ष्य को लेकर कभी संकोच न करें और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें।
इस उपलब्धि के बाद अक्षरा चौहान ने हिमाचल प्रदेश के CM सुखविंद्र सिंह सुक्खू से भी मुलाकात की। CM सुक्खू ने अक्षरा को इस सफलता के लिए बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। अक्षरा का कहना है कि प्रदेश के मुखिया से आशीर्वाद पाकर उनका हौसला और भी बढ़ गया है।
लोगों का कहना है कि अक्षरा चौहान की यह उपलब्धि आज हिमाचल की हजारों बेटियों के लिए प्रेरणा बन गई है। चौपाल जैसे ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना यह संदेश देता है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती-जरूरत होती है सिर्फ मेहनत,आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प की।











