Himachal: 50 करोड़ रुपये से बन रहा है राजीव गांधी डे-बोर्डिंग, विद्यार्थियों को मिलेगी आधुनिक सुविधाएं

Khabron wala 

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले आम परिवारों के बच्चे किसी भी क्षेत्र में पीछे न रहें और प्रतिस्पर्धा के इस युग में वे प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें, इसके लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश में एक बड़ी पहल की है। स्वयं एक आम परिवार से संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री ने ऐसे परिवारों के बच्चों की समस्याओं को देखते हुए प्रदेश में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल जैसी महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है।

प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक ‘राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल’ के क्रियान्वयन की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। प्रदेश के लगभग 15 विधानसभा क्षेत्रों में करोड़ों रुपये की लागत से राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूलों का निर्माण शुरू हो चुका है। भोरंज विधानसभा क्षेत्र के गांव करहा में भी लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल का निर्माण किया जा रहा है। इसके प्रथम चरण में प्राइमरी विंग के निर्माण पर 9.23 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जा रही है।

गांव करहा की लगभग 102 कनाल भूमि पर बनने वाले इस संस्थान में विद्यार्थियों को अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके परिसर में शैक्षणिक सुविधाओं के साथ-साथ खेलकूद, सांस्कृतिक और अन्य गतिविधियों के लिए भी आधुनिक सुविधाओं का प्रावधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार इस स्कूल के प्राइमरी विंग को एक साल के भीतर तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब वह दिन दूर नहीं है जब करहा और इसके आसपास के अन्य गांवों के आम परिवारों के बच्चों को भी अपने स्कूल में वे सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी जोकि आम तौर पर बड़े एवं महंगे पब्लिक स्कूलों में ही मिलती हैं।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस क्लासरूम हो या खेलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाला ग्राउंड। या फिर एनसीसी, सांस्कृतिक और अन्य गतिविधियों के लिए आवश्यक सुविधाएं, ये सभी प्रावधान राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल में किए जा रहे हैं। आम परिवारों के बच्चों को अत्याधुनिक शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध करवाने तथा उन्हें पूरे आत्मविश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल निःसंदेह एक मील का पत्थर साबित होंगे।

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